नीती-माणा घाटी की महिलाओं के भोजपत्र के काम की सराहना
देहरादून।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में पी.एम. स्वनिधि परिवार के साथ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मन की बात के 103 वें संस्करण को सुना।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने मन की बात में कहा कि देवभूमि उत्तराखंड की कुछ माताओं और बहनों ने जो पत्र उन्हें लिखे हैं, वो भावुक कर देने वाले हैं। उन्होंने अपने बेटे को, अपने भाई को, खूब सारा आशीर्वाद दिया है। उन्होंने लिखा है कि -‘उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी, कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर रहा ‘भोजपत्र’, उनकी आजीविका का साधन, बन सकता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्हें यह पत्र चमोली जिले की नीती-माणा घाटी की महिलाओं ने लिखा है। ये वो महिलाएं हैं, जिन्होंने पिछले साल अक्टूबर में उन्हें भोजपत्र पर एक अनूठी कलाकृति भेंट की थी। यह उपहार पाकर वे बहुत अभिभूत हो गये। हमारे यहाँ प्राचीन काल से हमारे शास्त्र और ग्रंथ, इन्हीं भोजपत्रों पर सहेजे जाते रहे हैं। महाभारत भी इसी भोजपत्र पर लिखा गया था। आज, देवभूमि की ये महिलाएं, इस भोजपत्र से, बेहद ही सुंदर-सुंदर कलाकृतियाँ और स्मृति चिन्ह बना रही हैं। माणा गांव की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने उनके इस अभिनव प्रयास की सराहना की थी। उन्होंने देवभूमि आने वाले पर्यटकों से अपील की थी, कि वो, यात्रा के दौरान ज्यादा से ज्यादा स्थानीय उत्पाद खरीदें। इसका बहुत असर हुआ है। आज, भोजपत्र के उत्पादों को यहाँ आने वाले तीर्थयात्री काफी पसंद कर रहे हैं और इसे अच्छे दामों पर खरीद भी रहे हैं। भोजपत्र की यह प्राचीन विरासत, उत्तराखंड की महिलाओं के जीवन में खुशहाली के नए-नए रंग भर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें यह जानकर भी खुशी हुई है कि भोजपत्र से नए-नए उत्पाद बनाने के लिए राज्य सरकार, महिलाओं को प्रशिक्षण भी दे रही है। राज्य सरकार ने भोजपत्र की दुर्लभ प्रजातियों को संरक्षित करने के लिए भी अभियान शुरू किया है। जिन क्षेत्रों को कभी देश का आखिरी छोर माना गया था, उन्हें अब, देश का प्रथम गाँव मानकर विकास हो रहा है। ये प्रयास अपनी परंपरा और संस्कृति को संजोने के साथ आर्थिक तरक्की का भी जरिया बन रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से समाज के विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य करने के लिए लोगों को प्रेरणा मिलती है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के साथ ही उनकी ब्रांडिंग, पैकेजिंग और मार्केंटिंग की अच्छी व्यवस्थाओं के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण भी दे रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पिछले साल अक्टूबर में माणा से देशभर के श्रद्धालुओं से अपील की थी कि अपनी धार्मिक यात्रा का 05 प्रतिशत खर्चा स्थानीय उत्पादों पर जरूर करें। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों की आजीविका में तेजी से वृद्धि हो रही है और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा मिल रहा है।
दूसरी ओर स्थानीय स्तर पर भी मन की बात में नीती-माणा घाटियों के भोजपत्र के कार्य की सराहना पर आभार जताया है।प्रधान संघ चमोली के जिला महामंत्री पुष्कर सिंह राणा ने कहा कि आज देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात मे जनपद चमोली के सीमान्त क्षेत्र नीती माणा घाटी मे जनजाति महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा भोज पत्र पर कलाकृतियों की प्रशंशा की।पिछले वर्ष 21 अक्टूबर 2022 को जब मोदी जी माणा भ्रमण पर पहुँचे थे उस समय जनजाति महिलाओं द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी को भोज पत्र पर हस्त लिखित अभिनन्दन पत्र भेट किया था आज मन की बात मे प्रधानमंत्री जी ने उस अभिनन्दन पत्र की भी प्रशंशा की।सभी नीती माणा घाटी के लोग आपके आभारी है।
दरअसल माणा गांव की महिलाओं ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था, जिसमें महिलाओं ने भोजपत्र को लेकर शुरू किए गए काम के लिए उनको धन्यवाद दिया था। विगत 21 अक्टूबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी सीमांत गांव माणा आए थे। इस दौरान बदरीनाथ में आयोजित सरस मेले में स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भोजपत्र पर तैयार एक अनूठी कलाकृति प्रधानमंत्री को भेंट की थी। जिसके बाद पीएम ने जनजाति महिलाओं की खूब प्रशंसा की थी। नीति माणा गांव की महिलाओं ने इससे प्रेरित होकर भोजपत्र पर लिखी श्री बदरीनाथ की आरती और एक पत्र प्रेषित कर आभार जताया। पीएम ने इस पत्र को लेकर ट्वीट भी किया था, जिसके बाद महिलाओं के भोजपत्र से बनने वाले प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ गई है। उनको लगातार विभिन्न प्रोडक्ट बनाने के ऑर्डर मिल रहे है। महिलाओं का कहना है कि इससे उनको आर्थिक लाभ हो रहा है और इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है।

जिला प्रशासन द्वारा भोजपत्र से निर्मित उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए कारगर प्रयास किए गए है। भोजपत्र स्मृति चिह्न बनाने के लिये महिलाओं को निरन्तर सुलेख प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दुर्लभ भोजपत्र को संरक्षित पौधशालाएं स्थापित की गई है।