Wednesday, March 26, 2025
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First action meeting of Chipko. 24 April 1973 चिपको की पहले एक्शन बैठक में किए गए प्रस्ताव। 24 अप्रैल 1973

Proposals made in the first action meeting of Chipko. 24 April 1973

गौण्डी-मण्डल।
आज दिनांक 24/4/73 को एक सार्वजनिक सभा स्थान मण्डल में श्री आलम सिंह बिष्ट प्रधान ग्राम सभा मण्डल की अध्यक्षता में हुई जिसमें सरकार की वन नीती के संबंध में निम्न प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए।

प्रस्ताव संख्या-1
गांव हक में कृषि और भवन निमार्ण हेतु अंगु और अन्य इमारती वृक्ष प्राप्त करना।

यह निर्विवाद सत्य है कि जनपद चमोली के किसान अपने समीपवर्ती वनों से कृषि कार्य हेतु बैलों के जुवें, अंगु की लकड़ी के और लाट, मोरू की लकड़ी के एवं हल, बांज या हरींज के,सदा से निशुल्क बनाते आये हैं। परन्तु खेद है कि वन विभाग चन्द वर्षो से किसानों को बैलों का जुवा बनाने के लिए अंगु के पेड़ नहीं दे रहा है। और कृषि यत्र चीड की लकडी से बनाने का आदेश दे रहा है। जो अत्यन्त अज्ञान पूर्ण है। और सारे अंगु के पेड, साईमण्ड कंपनी इलाहबाद को दिए जा रहे हैं। अत निश्चिय किया गया कि जब तक कषि यंत्रों के लिए अंगु के पेड गांव हक में निशुल्क नहीं मिलते तब तक साईमण्ड कंपनी इलाहबाद को पेड काटने नहीं दिया जायेगा। अगर जबरदस्ती पेड काटने शुरू किए तो सत्याग्रही पेडों पर चिपक जायेंगे। इसके लिए एक संघर्ष समिति का चयन किया गया। जो वनों की रक्षा करेगी। और आंदोलन जारी रखेगी।

प्रस्ताव संख्या 2
औद्योगिक कच्चा माल प्राप्त करना

राष्ट्रीय नीति के अनुरूप गोपेश्वर में दशोली ग्राम स्वराज्य संघ ने स्थानीय कच्चे माल-लीसा को ध्यान में रखते हुए विगत वर्षो में एक विरोजा-तारपीन फैक्टी तथा काष्ट-उपकरण उद्योग स्थापित किया गया है। परन्तु वन विभाग ने इसी जनपद के वनों से प्राप्त लीसे के वितरण में आईटीआर बरेली को पूरे वर्ष के लिए काफी सस्ते मूल्य पर लीसा दिया और इस जनपद की एकमात्र फैक्टी को केवल तीन माह के लिए बहुत महंगे दामों पर लीसा दिया गया। काष्टोपकरणों के लिए पेड़ साईमण्ड एण्ड कंपनी इलाहबाद को प्रतिवर्ष दर्जनों पेड दिए गए और इस जनपद को पेड नहीं दिए गए। परिणामस्वरूप दोनों उद्योग एक साल से बंद हैं। जिससे हजारों रूपये का घाटा हो गया है। अतः इस भेदभावपूर्ण नीति का घोर विरोध किया जाता है।

प्रस्ताव संख्या 3
गुजरों को रोकना।

गत वर्ष से वन विभाग इस जनपद में गुजरों को पास देते आ रही है। जिससे स्थानीय मवेशियों के चारागाह समाप्त होते जा रहे हैं। यहां मवेशियां पालना असंभव हो गया है। गुजरों को पास देना बंद किया जाय।

प्रस्ताव संख्या 4
वन वंदोबस्त और हको में वृद्वि।

यहां के वनों की पैमाईस सन 1920 ईसवी के करीब हुई थी तब गांव की परिवार संख्या आज के मुकाबले पाँच गुना कम थी उसी अनुपात पर गांव हक दर्ज किए गए थे। और वनों की सीमाबंदी मुनारे भी उसी अनुपात पर रखे गए थे। आज की बढ़ती हुई जनसंख्या और बढती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए वनबंदोबस्त कर गांव हक बढाए जांय। मुडारे बाहर हटाये जाय और फारेस्ट एक्ट में ऐसे परिवर्तन किए जाय जिससे वनों की संपति बढे और वह लोकहितकारी बन सके।

प्रस्ताव सख्या 5
साईमण्ड एण्ड कंपनी को वापस भेजा जाय।

प्रस्ताव सख्या 6
जंगलों के नीमाल बंद कर वन श्रमिक समितियों का संगठन कर वनों का काम उन्हें सौपा जाय।

प्रस्ताव 7
लकड़ी कोयला टाल बेरोजगारी मिटाओं।

राष्ट्रीय नीति बेरोजगारी गरीबी मिटाने की है अतः बदरीनाथ जोशीमठ चमोली गोपेश्वर आदि स्थानों पर लकड़ी और कोयले के टाल स्थानीय पंचायतों सहकारी संगठनों को इस्टीमेट रेट पर दिए जांय। ताकी जनपद की जनता लाभान्वित हो सके। इन मांगों के पूरा होने तक वन आंदोलन जारी रहेगा।

भवदीय
आलम सिंह बिष्ट

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