गोपेश्वर।
जोशीमठ की ग्यारह सूत्रीय मांगे पूरी न होने पर जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति की ओर से जोशीमठ तहसील परिसर में धरना दिया गया और जोशीमठ की उपजिलाअधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ग्यारह सूत्रीय ज्ञापन भेजा गया। जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि अप्रैल माह में जोशीमठ भूधसाव और भूघसाव प्रभावित की समस्याओं के निराकरण के लिए सीएम के साथ जोशीमठ में वार्ता हुई थी जिसमें इन मांगों को पूरा करने का अश्वासन दिया गया था जिसके आधार पर तब आंदोलन स्थगित किया गया था लेकिन चार माह बीत जाने के बाद भी हमारी मांगे जस की तस है। सोमवार को संघर्ष समिति के आह्वान पर तहसील परिसर के आंदोलन स्थल पर प्रभावितों ने बैठक की और समस्याओं के निराकरण के लिए राज्य सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनायी गईं।
सती ने बताया कि बैठक के बाद जोशीमठ की उपजिलाअधिकारी के माध्यम से इन समस्याओं के निराकरण के लिए एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री को प्रेषित किया गया है। जिसमें पूरे जोशीमठ नगर को आपदा प्रभावित घोषित करते हुए प्रभावित लोगों के नुकसान की भरपायी करने, जोशीमठ भूघसाव को लेकर देश के शीर्षस्थ वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने, भूमि बंदोबस्त के साथ जोशीमठ में सेना द्वारा अधिग्रहीत भूमि का मूल्य दिए जाने, मुवावजा नीति में होम स्टे को व्यावसायिक गतिविधियों से हटाने, भूघसाव से बेघर हुए परिवारों को स्थायी पुनर्वास की व्यवस्था होने तक वैकल्पिक व्यवस्था को कम से कम एक साल तक रखे जाने,2010 में एन टी पी सी के साथ हुए समझौते को लागू करने,तपोवन विष्णुगाढ़ जल विधुत परियोजना एवं हेलंग मारवाड़ी बाई पास पर स्थायी रोक लगाने,जोशीमठ के आपदा प्रभावितों की भूमि का मूल्य शीध्र निधारित करने तथा जोशीमठ के विस्थापन और पूर्ववास का स्थायी कार्यालय स्थापित करने के शासनादेश की व्यवस्थाओं को शीघ्र अनुपालन करने का अनुरोध किया है।
जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति के प्रवक्ता कमल रतूड़ी ने कहा कि सोमवार को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति ने 8अप्रेल को मुख्यमंत्री के साथ हुई वार्ता के बाद 11 सूत्रीय मांगो पर हुए समझौते को लागू करवाने की मांग को लेकर तहसील परिसर मे एक दिवसीय धरना देकर उपजिलाधिकारी जोशीमठ के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा।
बैठक के दौरान भूघसाव से उत्पन्न स्थितियों पर चर्चा की गई और सरकार द्वारा चार माह पूर्व किए गए वादे को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का निर्णय लिया गया। उन्होंने कहा कि पूर्व में देश के विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों की ओर से जोशीमठ के भूघसाव को लेकर अध्ययन किए गए। लेकिन रिपोर्ट सार्वजनिक न होने से लोगों में जोशीमठ की स्थिति को लेकर संशय हो रहा है। अतुल सती ने कहा कि हम लोगों ने जोशीमठ के स्थायित्व और नवनिर्माण की निगरानी के लिए सरकार से अलग से कमेटी के गठन का सुझाव दिया है जिसमें जोशीमठ बचाओं संघर्ष समिति को भी प्रतिनिधित्व देने की मांग की है।