-अनसूया प्रसाद मलासी –
रुद्रप्रयाग। चिपको आंदोलन के 50 वर्ष पूरे होने पर चिपको आंदोलन की याद में केदारघाटी के न्यालसू-रामपुर में 24-25 दिसंबर को दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा।
स्वागत समिति के अध्यक्ष न्यालसू के ग्राम प्रधान प्रमोद सिंह और विनय सेमवाल ने बताया कि 24 तारीख को दोपहर में “मौसमीय बदलाव और आम लोगों की भूमिका : चिपको के संदर्भ में” पर चर्चा तथा रात्रि को कलश संस्था के कवियों द्वारा कवि सम्मेलन किया जाएगा। इसमें महिला मंगल दल की प्रस्तुति, रामपुर फाटा के आंदोलनकारियों के अनुभव और यादें का कार्यक्रम है।
कार्यक्रम के दूसरे दिन 25 तारीख को रामपुर फाटा में चिपको आंदोलन के नेता रहे केदार सिंह रावत की स्मृति में दिया जाने वाला पर्यावरण पुरस्कार वितरण किया जाएगा। इस बार का पुरस्कार उफरैंखाल (पौड़ी) में ‘पाणी राखो आंदोलन’ के नेता श्री सच्चिदानंद भारती को दिया जाएगा।
कार्यक्रम में पद्म भूषण चंडी प्रसाद भट्ट जी, मुरारी लाल जी, रमेश पहाड़ी, प्रसिद्ध गांधीवादी रमेश शर्मा, भारत सरकार में पूर्व सलाहकार भुवनेश भट्ट, प्रख्यात संस्कृति कर्मी डा नंद किशोर हटवाल, एम पी डिमरी, गोविंद बल्लभ पंत हिमालयन पर्यावरण संस्थान के निदेशक समेत अनेक विज्ञानी और सामाजिक कार्यकर्ता शिरकत करेंगे।
चंडी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र गोपेश्वर द्वारा प्रतिवर्ष पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य करने वाले कार्यकर्ता को यह पुरस्कार दिया जाता है। अब तक यह सम्मान निम्न महानुभावों को प्रदान किया जा चुका है-
प्रथम वर्ष का पुरस्कार 2014-15 में श्री अनसूया प्रसाद भट्ट चिपको आंदोलन कार्यकर्ता गोपेश्वर को प्रदान किया गया। बाद के वर्षों में श्री रमेश पहाड़ी संस्थापक-संपादक अनिकेत, श्री शिशुपाल सिंह कुंवर- मंत्री दशोली ग्राम स्वराज संघ गोपेश्वर, महर्षि स्व. सोहनलाल भू-भिक्षु महाराज, श्रीमती कलावती देवी-(बछेर), श्रीमती सुशीला देवी (गोपेश्वर) और श्रीमती गायत्री देवी (डुंगरी-पैंतोली) को संयुक्त रूप से पुरस्कार दिया गया। वर्ष 2020 में गढ़गौरव नरेंद्र सिंह नेगी जी को यह पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। पुरस्कार में नगद धनराशि, शॉल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया जाता है।
स्व. केदार सिंह रावत जी का जन्म न्यालसू रामपुर गाँव के एक साधारण किसान परिवार में हुआ था। जब वे छात्र थे, तो एक बार सर्वोदय कार्यकर्ता आचार्य धर्माधिकारी जी केदारनाथ की यात्रा पर आये। उनकी चाय की दुकान में उनसे मुलाकात हुई। आचार्य जी ने उन्हें दीक्षा दी और सर्वोदय कार्य करने का आशीर्वचन भी दिया। बाद में वे सर्वोदय सेवक नरेंद्र दत्त जमलोकी जी के साथ सर्वोदय आंदोलन में जुड़े। वर्ष 1966 में चंद्रापुरी-सौड़ी शराबबंदी आंदोलन, भू-दान ग्रामदान आंदोलन और 1973 में बड़ासू गाँव के जंगल साइमन कंपनी द्वारा काटे जाने के खिलाफ वृहद आंदोलन के सूत्रधार रहे। वे ऊखीमठ विकास खंड के कनिष्ठ उप-प्रमुख भी रहे।
श्री सच्चिदानंद भारती का जन्म 1955 में पौड़ी जनपद के दूरस्थ उफरैंखाल क्षेत्र के गाडखरक गाँव में हुआ था। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए वे गोपेश्वर गये और वहीं दशोली ग्राम स्वराज मंडल के साथ रचनात्मक कार्यों में जुट गए। कुछ समय बाद वे वापस अपने गाँव लौटे और
उफरैंखाल इंटर कॉलेज में शिक्षक बन गए। वहाँ उन्होंने ‘दूधातोली लोक विकास संस्थान’ की स्थापना की। क्षेत्र में पानी के अकाल को देखते हुए जन सहयोग से रचनात्मक आंदोलन, चाल-खाल बनाकर पानी रोकने का अभिनव प्रयोग किया। उनके इस कार्य को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली और उन्हें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार समेत अनेक सम्मान प्राप्त हुए। उनके जनहित के कार्य को देखते हुए उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ने उन्हें डी. लिट. की मानद उपाधि प्रदान की।