Friday, May 16, 2025
HomeEditorial विचारWater emergency: history being reversed in Uruguay जल-आपातकाल : उरुग्वे...

Water emergency: history being reversed in Uruguay जल-आपातकाल : उरुग्वे में उलट रहा इतिहास

Water emergency: history being reversed in Uruguay

🖎 उपेन्द्र शंकर

दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से में स्थित देश उरुग्वे के राष्ट्रपति लुइस लैकले पोउ ने पिछले तीन साल, खासकर सात महीने के भीषण सूखे के बाद अभी 19 जून को राजधानी मोंटेवीडियो और महानगरीय क्षेत्र में जल-आपातकाल की घोषणा की है। लंबे समय से सूखे के कारण पानी की आपूर्ति करने वाले विभाग को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा था। यह सब तब हुआ जबकि उरुग्वे दुनिया के सबसे स्वच्छ, सबसे प्रचुर जलस्रोतों वाले देशों में से एक है। वर्ष 2004 में उरुग्वे ने पानी को निजीकरण से बचाने के लिए संविधान में संशोधन किया था और देश में पानी एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में चिन्हित किया गया था।


पत्रकारों से बातचीत में राष्ट्रपति लैकले पोउ ने बताया कि स्थिति को सुधारने और राजधानी के लिए पीने के पानी का एक नया स्रोत प्रदान करने के लिए सैन-जोस नदी पर एक जलाशय के निर्माण की घोषणा की गई है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जलाशय और इसके पाइपलाइन नेटवर्क पर 20 जून से काम शुरू होगा और यह अधिकतम 30 दिनों में पूरा हो जाएगा।


राष्ट्रपति के मुताबिक ‘राज्य स्वच्छता वर्क्स’ (सरकारी जलापूर्ति विभाग) द्वारा मई में पानी की कमी दूर करने के लिए ला-प्लाटा नदी (जो अटलांटिक महासागर से जुड़ा एक मुहाना है) से खारा पानी मिलाकर सप्लाई शुरू की गई थी। इस पानी की विशेष आपूर्ति अस्पतालों, ‘बाल एवं किशोर संस्थान’ और ‘परिवार देखभाल केंद्रों’ में की गई थी। घरों में पानी की सामान्य आपूर्ति के बारे में राष्ट्रपति ने कहा कि यह पहले की तरह जारी रहेगा, लेकिन चेतावनी दी कि इसकी गुणवत्ता और भी खराब हो सकती है जिसके बारे में लोगों को प्रतिदिन सूचित किया जाएगा। इसके अलावा राष्ट्रपति ने आश्वासन दिया कि सरकार लगभग 21,000 कमजोर परिवारों को दो लीटर पानी की आपूर्ति मुफ्त करेगी।


इसके पहले, ‘स्वास्थ्य मंत्रालय’ ने ‘भोजन में नमक का उपयोग कम’ करने के लिए लोगों से कहा था। उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों, गुर्दे के बीमारों, शिशुओं और गर्भवती महिलाओं को सलाह दी गई थी कि वे सावधानी बरतें और बोतलबंद पानी का सेवन करें। सरकार ने आयातित बोतलबंद पानी पर टैक्सों को निलंबित करके कमजोर लोगों को संकट में राहत के लिहाज से सब्सिडी प्रदान की थी, लेकिन कुछ दिनों बाद बोतलबंद पानी की बिक्री तीन गुना हो गई और इसकी कीमत पांच गुना बढ़ गई। राजधानी के निवासियों को बोतलबंद पानी पर हर दिन औसतन 300 पेसो या 8 अमरीकी डालर खर्च करने के लिए मजबूर होना पडा।
इस सबने आबादी में व्यापक असंतोष भडकाया। मई के मध्य में ‘पानी की रक्षा में’ के बैनर तले, सैकड़ों लोगों ने ट्रेड-यूनियन्स के साथ मिलकर राजधानी मोंटेवीडियो में सूखे के संकट का सामना करने के लिए अधिक आर्थिक, सामाजिक उपायों की मांग की। उन्होंने ‘यह सूखा नहीं, लूट है’ और ‘पानी नहीं बिकना चाहिये’ जैसे नारे लगाए।


इस आपातकाल से पहले भी फरवरी 2022 में जलापूर्ति विभाग ने पीने के पानी के बाहरी उपयोग, जैसे-बगीचे में पानी देना, वाहन धोना, स्विमिंग पूल आदि के लिए उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था और अक्टूबर 2022 में सरकार ने पशुधन, कृषि और मत्स्य-पालन मंत्रालय के माध्यम से पूरे देश में 90 दिनों की अवधि के लिए कृषि आपातकाल की घोषणा की थी। जनवरी 2023 में आपातकाल की स्थिति को अप्रैल तक बढ़ाकर पशुधन, डेयरी, फल और बागवानी, कृषि, मुर्गीपालन, मधुमक्खी पालन और वानिकी आदि को शामिल कर दिया।


उरुग्वे पिछले साढ़े तीन साल से सदी के सबसे बुरे सूखे से जूझ रहा है। उरुग्वे में बारिश आमतौर पर सर्दियों में ठंडी हवाओं और गर्मियों में बार-बार आने वाले तूफानों का परिणाम होती है, पर इस गर्मी (दिसंबर 2022 से फरवरी 2023) में बहुत कम बारिश हुई। ‘राष्ट्रीय मौसम विज्ञान संस्थान’ द्वारा जारी जानकारी के अनुसार गर्मी के दौरान औसत वर्षा 126.4 मिमी थी जो औसत वर्षा से 225.4 मिमी कम थी। पिछले 42 वर्षों में वर्तमान गर्मी रिकॉर्ड पर सबसे शुष्क रही है जो बताती है कि पूरा देश सूखे से प्रभावित क्यों है। करीब 36,23,300 हेक्टेयर इलाका अत्यधिक सूखे के अधीन क्यों है?


नेस्टर माज़ेओ और मारियाना मीरहॉफ़ जैसे विशेषज्ञों का मानना है कि संकट सिर्फ कम बारिश का नहीं है, वह स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में दिए कारणों, ग्लोबल-वार्मिंग, जलवायु संकट की तुलना में अधिक जटिल है। उनका कहना है कि मेट्रोपॉलिटन मोंटेवीडियो (जहां देश की 60 प्रतिशत आबादी रहती है) अपना पीने का पानी विशेष रूप से सांता-लूसिया नदी पर बने बांध ‘पासो सेवेरिनो’ से प्राप्त करता है। यह बांध 6 करोड 70 लाख क्यूबिक-मीटर पानी का भंडारण करता है, लेकिन अप्रैल-मई 2023 में इसमें केवल 37 लाख क्यूबिक-मीटर पानी रह गया था।


‘सांता लूसिया’ बांध केवल व्यक्तिगत उपभोग के लिए पानी की आपूर्ति नहीं करता। देश के डेयरी और कृषि उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा मोंटेवीडियो के आसपास के इलाकों में बसा है। पहले अधिकांश कृषि स्वतंत्र रूप से घूमने वाले मवेशियों के इर्द-गिर्द होती थी, लेकिन पिछले 15-20 वर्षों में सोया की मोनोकल्चर और पेपर-पल्प के उत्पादन के लिए वानिकी सहित फसलों के भारी उत्पादन ने अधिक-से-अधिक पानी की मांग की। कुछ अनुमानों के अनुसार उरुग्वे में पीने योग्य पानी के 80 प्रतिशत तक का उपयोग निर्यात आधारित कृषि के लिए किया जा रहा है।


जानकार विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में परस्पर विरोधी हितों के चलते समन्वय की गंभीर कमी को भी एक कारण के रूप में देखते हैं। परेशान करने वाली यह बात भी बताई जाती है कि उरुग्वे में कुल पीने योग्य पानी का 50 प्रतिशत से अधिक पाइपों की लीकेज के माध्यम से बर्बाद हो जाता है, लेकिन सरकार ने काफी सालों से पानी के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्चा कम कर रखा है।


कुछ विशेषज्ञों के अनुसार मोंटेवीडियो और उसके महानगरीय क्षेत्र में भूजल निकासी का उचित प्रबंधन राजधानी के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति के संकट को दूर कर सकता है, पर यहां यह बात ध्यान देने लायक है कि अनियंत्रित भूजल निकासी से जलस्रोतों का अत्यधिक दोहन हो सकता है और वे प्रदूषित हो सकते हैं। कैनेलोन्स और माल्डोनाडो जैसे क्षेत्रों में अत्यधिक दोहन के कारण तटीय जलस्रोतों में समुद्री जल का प्रवेश हो गया है और मीठा जल प्रदूषित हो गया है।
याद रखना चाहिये कि उरुग्वे के 2004 के संवैधानिक सुधार ने पानी और स्वच्छता सेवाओं के निजीकरण को उलट दिया था। इस सुधार ने जल और स्वच्छता प्रशासन में सार्वजनिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी का संकेत दिया था। 2010 में सरकार ने संवैधानिक सुधार को लागू करने के लिए ‘राष्ट्रीय जल योजना’ शुरू की। डिज़ाइन के अनुसार इस योजना में समाज के विभिन्न क्षेत्रों के दृष्टिकोण, चिंताओं और प्रस्तावों को शामिल किया गया था।


15 जून 2023 को प्रसिद्ध अख़बार ‘द गार्जियन’ ने टिम स्मेदलेव का एक लेख ‘सूखा अगली महामारी बनने की कगार पर’ शीर्षक से छापा था, यानि सूखा भविष्य में कई सालों तक बना रह सकता है और बार-बार पड़ सकता है। कई शोध भी बताते हैं कि भविष्य में दुनिया भर में सूखे वर्ष ज्यादा शुष्क होंगे। उरुग्वे में पानी का संकट दुनिया के अधिकांश लोगों, नीति-निर्धारकों, नेताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे पानी से जुड़ी सुरक्षा, खपत और उत्पादन नीतियों में परवर्तन कर बदलते मौसम के साथ अनुकूलन का प्रयास करें। (सप्रेस)


श्री उपेन्द्र शंकर सामाजिक कार्यकर्ता हैं। व पानी के लिए कार्य करते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments