उत्तरकाशी/गोपेश्वर।
पहाड़ों में हो रही भारी बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे पर सोननगर पर पहाड़ी खिसकने से हुए भूस्खलन की चपेट में तीन वाहन दबे। जिससे उसके अंदर सवार चार लोगों की जान चली गई है तथा 26 लोगों को बचा लिया गया है।
दूसरी ओर चमोली जिले के सीमावर्ती इलाके में सोमवार सायं जुम्मा नाले में बाढ़ का कहर देर रात तक जारी रहा। इससे
जुम्मा नाले पर बना हाई- वे का पुल बाढ़ के साथ बह गया। इससे भारत तिब्बत सीमा को जोड़ने वाली जोशीमठ- मलारी सीमा सड़क बंद हो गई। सड़क बंद होने से सीमांत के एक दर्जन से अधिक गांवों का आवागमन संपर्क ठप हो गया है। साथ ही सड़क मार्ग से सीमांत की चौकियों की सड़क मार्ग से आपूर्ति ठप हो गई है। सोमवार सायं जोशीमठ-नीती हाईवे पर स्थित जुम्मा गांव के बगल से बहने वाली जलधारा का वेग बढ़ गया था बाद में बाढ़ का रुप धारण कर लिया था। जुम्मा गाढ़ में पानी का वेग इतना अधिक हो गया था कि बाढ़ का पानी कुछ समय के लिए जुम्मा में सीमा को जोड़ने वाली जोशीमठ -मलारी सड़क पर बहने लगा था जो कि नदी से की मीटर ऊपर है।
गोपेश्वर में मंगलवार सुबह जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है कि इस जल धारा पर अचानक शुरू हुई इस बाढ़ के कारण नीती घाटी को जोड़ने वाली इस एकमात्र सड़क का पुल बाढ़ की चपेट में आने से बह गया है। इससे जुम्मा गांव से आगे कागा, गरपक, द्रोणागिरी, जेलम, कोसा, मलारी, महरगांव, कैलाशपुर, प्रकिया, बंम्पा, गमशाली और नीती गांव का मोटर संपर्क खत्म हो गया है।
चमोली जिले में जोशीमठ से 45 किलोमीटर की दूरी पर जुम्मा गांव है। जुम्मा गाढ़ में अचानक बाढ़ कैसे आयी इसकी कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिल पाती है लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि लगातार हो रही बारिश के कारण जुम्मा गाड़ के उपरी इलाके में कहीं भूस्खलन के चलते नदी का पानी रुकने और फिर पानी के निकलने से भी ऐसा संभव हो सकता है। कुछ लोग इस नदी के उपरी जलग्रहण क्षेत्र में ग्लेशियरों के पिघलने और भूस्खलन को भी इसका कारण बता रहे हैं।
बाढ़ के साथ मिट्टी और पानी समेत भारी भारी बोल्डर भी बहकर आ रहे थे। एक बौल्डर पुल पर अटक गया है जिसके बाद रात को बोल्डर के साथ पुल भी बाढ़ के साथ बह गया है। बाढ़ इतनी तेज थी कि आसपास पुल का मलवा भी नहीं दिख रहा है। केवल किनारे पर अवशेष दिखाई दे रहें हैं।
जुम्मा में इसी नदी पर राज्य सरकार की जल विद्युत एक परियोजना कई सालों पूर्व बनी थी क्षतिग्रस्त होने के कारण कई दशकों के बाद भी यह बिजली तैयार नहीं कर पायी है। अब एक अन्य बड़ी जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए एक सप्ताह पूर्व उत्तराखंड के मुख्य सचिव पीएमओ के अधिकारियों से मिल चुके हैं और इसे शुरू करने की गुहार लगा चुके हैं। यह परियोजना टीएचडीसी ने बनानी थी, 2013 की आपदा के बाद इस पर रोक लगी है। इस क्षेत्र के जानकार लोगों का मानना है कि यदि यह पर परियोजना यहां बन चुकी होती रैणी के हादसे की तरह इसके बैराज और उसमें जमा पानी के बहाव से बाढ़ की मारक क्षमता बढ़ सकती थी।
घटना सोमवार देर रात्रि है गंगनानी और सोननगर के बीच भारी बारिश से गंगोत्री हाईवे बंद हो गई वहीं पहाड़ी से चट्टान खिसकने से चार लोगों की दबे होने की सूचना है। घटना स्थल तक राहत और बचाओ टीम मौके पर पहुंच चुके हैं।
इधर आपदा परिचालन के केन्द्र वर्तमान समय में जनपद उत्तरकाशी में लगातार हो रही वर्षा के कारण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग भटवाडी से आगे कैप्टन ब्रिज, हेल्गूगाड, सुनगर, गंगनानी, सुक्खी नाला, हर्षिल, के पास बाधित है।
भटवाडी से लगभग 15 किमी आगे गगनानी में दोनों ओर से मार्ग बाधित है। उक्त स्थान पर तेज बारिश हो रही है। गंगनानी में झरने में पानी-मलवे में एक मध्यप्रदेश के यात्रियो का वाहन फँसा है। रात्रि करीब 08:00 बजे गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर गंगनानी पुल के पास पहाड़ी से अचानक मलवा/बोल्डर आने के कारण 3 यात्रा वाहन मलबे की चपेट में आ गए। सूचना मिलते ही पुलिस, SDRF, फायर सर्विस की टीम मौके पर पहुंचे, मौके पर स्थानीय लोगों के सहयोग से रेस्क्यू कार्य शुरू किया गया। घायलों को रेस्क्यू कर प्राथमिक उपचार हेतु भेजा गया है,
मौके पर 4 लोगो की मृत्यु हो गयी है, जिनमे 3 लोगों के शव को रेस्क्यू कर दिया गया है अन्य 1 का रेस्क्यू किया जा रहा है।
लगातार बारिश एवं पहाड़ी से मलबा आने के चलते रेस्क्यू कार्य करने में दिक्कतें आ रही है, टीमें लगातार रेस्क्यू कार्य मे लगीं है, सीमा सड़क संगठन हाईवे को सुचारु करने का प्रयास किया जा रहा है। घटना स्थल पर पुलिस-होमगार्ड स्थानीय लोगों व बीमारों के मजदूरों द्वारा राहत कार्य किया जा रहा है। सीमा संगठन की टीम भी वहा पहुँचने का प्रयास किया जा रहा है।
Monsoon rains in Uttarakhand.