Joshimath. Sunil ward landslide is being monitored.
गोपेश्वर।
इस साल जनवरी माह में जोशीमठ के सुनील वार्ड में जिस जगह से भू-धंसाव शुरू हुआ था, अब वहां जमीन में गड्ढे होने की सूचना से लोग चिंतित हैं। सूचना मिलने पर स्थानीय प्रशासन की टीम ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।
निरीक्षण के बाद जोशीमठ के तहसीलदार रवि शाह ने बताया कि टीम के पहुंचने से पहले ही प्रभावितों ने गड्ढे वाली जगह पर मिट्टी भर दी थी
उन्होंने बताया कि यह गड्ढा सुनील वार्ड में जोशीमठ-औली मोटर सड़क से सटे एक भवन और सड़क की दीवार के बीच होना बताया गया था जिसे हमारे पहुंचने से पहले ही मिट्टी से भर दिया था। हमारी टीम जिसमें इंजिनियर भी शामिल हैं इसकी निगरानी कर रहे हैं।
सुनील वार्ड में फिर से गड्ढा होने की चर्चा से जोशीमठ के आपदा प्रभावितों की चिंता और बढ़ गई है।
बरसात में भवनों की दरारें और बढ़ सकती हैं, इससे चिंतित हैं। जोशीमठ बताओं संघर्ष समिति के प्रवक्ता कमल रतूड़ी का कहना है कि उस इलाके में पहले से ही गड्ढे थे जो अब बढ़ गए होंगे। उन्होने सोमवार सायं तक इसकी जानकारी जुटाने की बात कही।
विगत तीन दिन पूर्व जोशीमठ के भू-धंसाव क्षेत्र के सुनील वार्ड में विनोद सकलानी के मकान के पास अचानक इस गड्ढा होने की सूचना मिली थी। बताया जा रहा था कि गड्ढा काफी बढ़ा है। इससे नगर वासियों की चिंता बढ़ गई है।
ये वही इलाका है जहां मकानों में सबसे पहले दरारें आई थी। फिर इसी क्षेत्र में गड्ढा बनने से आपदा प्रभावितों में आशंकित है कि कहीं यह सिलसिला फिर शुरू न हो जाए। हालांकि अन्य क्षेत्रों से अभी इस तरह की सूचना नहीं है।
रवि शाह का कहना है कि जैसी की सूचना मिली थी कि यह गड्ढा खेत में है, मौके पर वह मोटर सड़क और मकान के बीच की जगह पर और मिट्टी से भरा मिला।
शदूसरी ओर आपदा के छह माह बीतने के बाद भी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होने और सीएम के लिए गए आश्वासन पूरे न होने पर जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति की ओर से जोशीमठ तहसील में सोमवार को धरना और जुलूस प्रदशर्न किया गया।
आपदा प्रभावित आशंकित हैं कि रिपोर्ट सार्वजनिक न किए जाने से लोग आक्रोशित हैं। धरना स्थल पर भी यही सवाल उठ रहा था कि सरकार रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है। रिपोर्ट में ऐसा क्या है जिसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जनवरी माह में भू धंसाव से नगर में 868 भवनों में दरार आई थी, जिसमें 181 भवनों को असुरक्षित घोषित किया था। अन्य में हल्की दरारें थी। आज भी करीब 60 परिवार शिविरों में रह रहे हैं। बरसात शुरू होते ही सुनील वार्ड में गड्ढा बनने की खबर से आपदा प्रभावित सहम गए हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संरक्षक अतुल सती का कहना है कि हम पिछले चार माह से यही मांग करते आ रहे हैं कि वैज्ञानिक रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए, जिससे लोगों को पता चल सके कि वह जहां रह रहे हैं वह सुरक्षित है या नहीं। सरकार क्यों अब तक वैज्ञानिकों की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं कर रही है यह समझ से परे है।
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