Thursday, May 22, 2025
HomeCulturekedarnath-केदारनाथKedarnath. Hot water with geysers at 18 places along the yatra route....

Kedarnath. Hot water with geysers at 18 places along the yatra route. केदारनाथ.यात्रा मार्ग के 18 स्थानों पर गीज़र युक्त गर्म पानी की चरहियां

This year, efforts have been made to provide clean water and medical facilities for pilgrims and animals along the Kedarnath pedestrian route.

रुद्रप्रयाग।

केदारनाथ पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों के साथ-साथ निरीह पशुओं के लिए इस बार पीने के लिए साफ पानी और उपचार के लिए चिकित्सकों की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है। घोड़े-खच्चरों के लिए जगह पानी उपलब्ध कराया जा रहा है और पानी न केवल स्वच्छ है अपितु उसे गर्म कर उपलब्ध कराया जा रहा है।

केदारनाथ मंदिर के लिए मोटर सड़क से गौरीकुंड तक ही जा सकते हैं, उससे आगे 16 किलोमीटर की दूरी पैदल रास्ते से ही तय की जाती है। कुछ लोग हैलिकाप्टर से चले जाते हैं लेकिन बहुसंख्यक लोग इसी पैदल मार्ग पर पैदल या ढंडी-कंडी या फिर घोड़े-खच्चरों की सवारी कर भगवान केदारनाथ के दर्शन करते हैं।

महाराष्ट्र से भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए आयी एक महिला श्रद्धालु ने नाम न उजागर करने की शर्त पर बताया कि मूक पशुओं के लिए स्थानीय प्रशासन की यह प्रयास काबिले तारिफ है। की बार केदारनाथ आ चुकी इस महिला तीर्थयात्री ने बताया कि पहली बार जानवरों को पीने के लिए साफ और गर्म पानी का इंतजाम देखा है। पीने के लिए गर्म पानी और जगह- स्वास्थ्य जांच के कारण भले ही घोड़े-खच्चर की सवारी में केदारनाथ पहुंचने में अपेक्षाकृत थोड़ा ज्यादा वक्त लग रहा है लेकिन यह निरीह जानवरों को सुविधा और आराम देने के जरिए इस पवित्र धाम में भगवान की अराधना का ही एक हिस्सा बन रहा है।

रुद्रप्रयाग के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डाॅ. अशोक कुमार ने बताया कि घोड़े-खच्चरों को ठंडा पानी पीने से होने वाले कोलिक रोग से बचाव हेतु यात्रा मार्ग के 18 स्थानों पर गीज़र युक्त गर्म पानी की चरहियां संचालित की जा रही हैं जिनकी देख-रेख म्यूल टास्क फोर्स के जवानों के सुपुर्द की गई है तथा घोड़े-खच्चरों को रूकवा कर पानी पिलवाया जा रहा है। गर्म पानी की चरहियां का रख-रखाव जल संस्थान एवं उरेडा द्वारा किया जा रहा है तथा सुलभ इन्टरनेशनल संस्था द्वारा चरहियों की सफाई व्यवस्था देखी जा रही है।

इस सबके सुफल भी इस साल मिल रहे हैं, इस वर्ष यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की मृत्युदर में उल्लेखनीय कमी के रुप में देखा जा सकता है। यात्रा के प्रथम 60 दिनों में विगत वर्ष में 194 घोड़े-खच्चरों की मृत्यु के सापेक्ष इस वर्ष 90 पशुओं की मृत्यु हुई है।

उन्होंने बताया कि घोडे़-खच्चरों के संचालन हेतु इस साल अलग से एस.ओ.पी. बनी है जिसे हम सख्ती से अनुपालन कर रहे है। इसके तहत इस साल यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों की अधिकतम क्षमता भी निर्धारित हैै। इस पैदल यात्रा मार्ग पर गौरीकुण्ड, लिनचोली एवं केदारनाथ में अस्थाई पशु चिकित्सालय संचालित किए जा रहे हैं। जिनके माध्यम से यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों को पशुचिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं। हर दिन मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जा रहा है।

विभागीय पशुचिकित्सकों द्वारा 24 घंटे पशुचिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाते हुए सोनप्रयाग में 444, गौरीकुंड में 1721, लिनचोली 398 एवं केदारनाथ में 327 घोड़े-खच्चरों सहित यात्रा मार्ग पर कुल 2890 पशुओं का उपचार कर उनकी प्राणरक्षा की जा चुकी है।

प्रतिदिन यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ परीक्षण भी किया जा रहा है जिसमें अनुपयुक्त पाए गए कुल 300 घोड़े-खच्चरों को यात्रा से निरुद्ध किया जा चुका है तथा कुल 213 घोड़े-खच्चर मालिकों के विरुद्ध चालानी कार्यवाही तथा पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत कुल 16 प्राथमिकी भी दर्ज की गई हैं।

प्रथम बार सभी घोड़े-खच्चरों की ग्लैण्डर्स जांच भी करवाई गई है। यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों को इनडोर सुविधा सहित बेहतर पशुचिकित्सा सेवाएं उपलब्ध करवाने हेतु वृहद इनफर्मरी हेतु सोनप्रयाग में भूमि का चयन कर लिया गया है तथा वहां अतिक्रमण को हटवाने की कार्यवाही गतिमान है ताकि निर्माण संबंधी कार्यवाही प्रारंभ करवाई जा सके।

घोड़े-खच्चरों हेतु पिछले साल के मुकाबले ज्यादा पशुचिकित्सकों को नियुक्त किया है। सोनप्रयाग, श्री केदारनाथ एवं लिनचोली में एक-एक पशुचिकित्सक तथा यात्रा के मुख्य पड़ाव गौरीकुंड में 04 पशुचिकित्सक तैनात किए गए हैं जिनके द्वारा 24 घंटे पशु चिकित्सा सुविधा उपलबध करवाने के साथ ही पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का भी अनुपालन करवाया जा रहा है। जिला पंचायत द्वारा यात्रा मार्ग पर चलने वाले घोड़े-खच्चरों का पंजीकरण एवं विनियमन किया जा रहा है तथा यात्राकाल में नियमों का उल्लंघन करने पर वैधानिक कार्यवाही भी की जा रही है।

पिछले अनुभवों से सबक लेते हुए इस साल‌ यात्रा मार्ग पर तैनात पशुचिकित्सकों को तकनीकी रूप से अधिक दक्षता प्रदान करने के दृष्टिगत उन्हें आईटीबीपी एवं ब्रुक्स इंडिया के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा 07 दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। साथ ही यात्रा-पूर्व ही जनपद के विभिन्न अश्व बाहुल्य क्षेत्रों में पशुस्वास्थ्य एवं पशुबीमा हेतु लगभग 15 शिविरों का भी आयोजन किया गया जिनमें पशुस्वामियों को पशुस्वास्थ्य, पोषण एवं पशुकल्याण के संबंध में जागरूक किया गया।

यात्रा व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से पशुपालन विभाग द्वारा पशुकल्याण एवं पशुचिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी स्वयंसेवी संस्थाओं का भी सहयोग लिया जा रहा है। स्वयंसेवी संस्था पीपल फाॅर एनिमल्स के द्वारा यात्रा मार्ग पर तैनात पुलिस कर्मियों, पशुचिकित्सकों तथा सेक्टर अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया। उक्त के अतिरिक्त विश्वविख्यात स्वयंसेवी संस्था ब्रुक्स इंडिया की विशेषज्ञ अश्व-चिकित्सा टीम द्वारा भी गौरीकुंड में अश्ववंशीय पशुओं के उपचार में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। यात्रा मार्ग में घोडे-खच्चरों पर किसी भी प्रकार की क्रूरता ना हो, एवं अनावश्यक रूप से मार्ग पर दौड़ाया ना जाए इसके नियंत्रण हेतु प्रथम बार यात्रा मार्ग पर 30 सदस्यीय म्यूल टास्क फोर्स का गठन कर तैनात किया गया है। म्यूल टास्क फोर्स के जवानों को विभागीय पशुचिकित्सा अधिकारियों द्वारा एवं स्वयंसेवी संस्था ब्रुक्स इंडिया की विशेषज्ञ टीम द्वारा यात्रा-पूर्व ही प्रशिक्षित किया गया है।


RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments