गोपेश्वर।
वन पंचायत प्रतिनिधियों के पारिस्थितिकी संरक्षण एवं विशेष रूप से औषधीय एवं सुगन्धित पादपों के संरक्षण में भूमिका को बेहतर बनाने हेतु उद्योगीनी संस्था ने गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के सहयोग से तीन दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम आयोजित कियाI
चमोली जनपद के पांच विकासखंडों दशोली, देवाल, जोशीमठ, नंदानगर घाट एवं थराली के पंद्रह वन पंचायतों के तीस से अधिक प्रतिनिधियों ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रतिभाग कियाI प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिकों द्वारा पर्यावरण असंतुलन, जलवायु परिवर्तन, औषधीय पादपों के संरक्षण पर गहराते संकट तथा वन पंचायतों के पर्यावरण संरक्षण में योगदान एवं भागीदारी इत्यादि महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गयीI
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक डॉ. सुनील नौटियाल द्वारा औषधीय पादपों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्त्व और उसमें भारत की हिस्सेदारी पर प्रकाश डालाI साथ ही इस दिशा में उद्योगिनी एवं गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के द्वारा वन पंचायतों के सशक्तिकरण की पहल की भी सराहना कीI
वन पंचायत प्रतिनिधियों ने संस्थान के वैज्ञानिकों डॉ. हर्षित पन्त जुगरान, डॉ. के.एस कनवाल, डॉ. साहनी के महत्वपूर्ण विषयों पर व्याख्यान सुने तथा संस्थान द्वारा तैयार की गयी वनस्पति-वाटिका ‘सूर्य कुंज’ का भ्रमण कर विभिन्न वनस्पतियों एवं औषधियों पादपों के संरक्षण की जानकारी लीI संस्थान द्वारा किये गये प्रयास जैसे की पिरूल एवं अन्य पेड़ों के पत्तों से कोयला, ऑफिस फाइल, फोल्डर, शादी के कार्ड, राखी निर्माण इत्यादि शैक्षणिक भ्रमण के मुख्य आकर्षण रहे, जिसे देख कर प्रतिभागियों ने समझा की इस तरह के उपक्रम जहाँ एक ओर वनाग्नि के प्रकोप से जंगलों को बचा सकते हैं वहीँ ग्रामीणों के लिए आजीविका के नए आयाम भी बनाते हैंI
इस अवसर पर गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान, कोसी कटारमल, अल्मोड़ा के विज्ञानियों के साथ साथ उद्योगिनी से परियोजना प्रबंधक मनोज करायत व क्लस्टर प्रबंधक आदि मौजूद थेI