रमेश चंद शर्मा,
गांधी युवा बिरादरी
यमुना सहित सभी नदियों के लिए जरूरी है कि सर्वप्रथम उसमें उसके खुद के पानी का प्रवाह हो।
दिल्ली में वजीराबाद के बाद लगभग 22 कि. मी. तक अपने जल की एक भी शुद्ध बूंद यमुना में नहीं है।
यमुना से संबंधित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों का 10% जल छोड़ने के समझौते को तुरंत प्रभाव से लागू किया जाना चाहिए। सालों से यह समझौता फ्रिज पड़ा है।
यमुना में डलने वाली गंदगी को रोका जाना चाहिए।
22 कि.मी. 22 नाले नजफगढ़ नाले से लेकर ओखला नाले तक।
आजकल जो आरती, पूजा पाठ, सौंदर्यीकरण के नाम पर जो ध्यान भटकाया जा रहा है। पैसे की बर्बादी, धंधा किया जा रहा है। उसे तुरंत प्रभाव से बंद किया जाए।
यमुना में गिरने वाले नालों को बरसाती नाला घोषित किया जाना चाहिए।
अभी रिकार्ड में, बोलचाल में गंदा नाला ही प्रयोग किया जा रहा है।
सीवर और रीवर को अलग-अलग रखा जाए।
सौंदर्यीकरण के साथ-साथ या पहले गंदगी को साफ सुथरा करने पर ध्यान दिया जाए।
यमुना की छाती पर अधिग्रहण, कब्जे बंद हो। जो हो चुके हैं उन्हें यथासंभव हटाया जाए।
सभी साथियों को शुभकामनाओं सहित सादर जय जगत।