रुद्रप्रयाग। भाषा।
रुद्रप्रयाग के जिला अधिकारी मयूर दीक्षित के निर्देशन में केदारनाथ और जिले के अन्य पर्यटन स्थलों पर डिजिटल डिपोजिट रिफंड सिस्टम के माध्यम से प्लास्टिक कचरे के निस्तारण की पहल के लिए रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन को नेशनल अवॉर्ड के लिए चुना गया है। रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन के इस अभिनव प्रयास ने राज्य और देश में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन को दिशा देने का कार्य किया है। विख्यात श्री केदारनाथ धाम की यात्रा के दौरान प्लास्टिक कचरे के निस्तारण हेतु जिला प्रशासन द्वारा रिसायकल संस्था ने मिलकर डिजिटल डिपोजिट रिफंड सिस्टम शुरू किया था। इस सफल प्रयोग के लिए लिए जिले को मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्राॅनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलाॅजी की ओर से आयोजित राष्ट्रीय प्रतियोगिता में नेशनल अवॉर्ड के लिए चुना है। अगले महीने की 07 जनवरी, 2023 को विज्ञान भवन में प्रस्तावित सम्मान समारोह में राष्ट्रपति यह सम्मान देगी।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने पुरस्कार की घोषणा पर जिला प्रशासन, तहसील ऊखीमठ, रिसायकल संस्था व समस्त जनपद वासियों को बधाई दी है। जिलाधिकारी ने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्राॅनिक्स एंड इंफोर्मेशन टेक्नोलाॅजी की ओर से हर वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग वर्ग में यह प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। उत्तराखंड सरकार द्वारा जनपद रुद्रप्रयाग को डिजिटल डिपोजिट रिफंड सिस्टम के तहत नामित किया गया था, जिसमें जनपद ने राष्ट्रीय स्तर पर डिजिटल इंडिया अवाॅर्ड्स 2022 में सिल्वर मेडल का पुरस्कार जीता है।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा सिंगल यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बैन किया जा चुका है, ऐसे में यात्रा मार्ग पर लाखों श्रद्धालुओं द्वारा पानी की बोतलों, कोल्ड ड्रिंक समेत अन्य प्लास्टिक का सामान इस्तेमाल करने के बाद उसका उचित निस्तारण बड़ी चुनौती है। रिसायकल संस्था के साथ मिलकर पहले पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर केदारनाथ यात्रा मार्ग एवं दूसरे चरण में चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर क्यूआर कोड व्यवस्था को लागू किया गया। इस वर्ष पानी की बोतलों पर क्यूआर लगाने से प्रोजेक्ट शुरु हुआ था जबकि बाद में कोल्ड ड्रिंक की बोतलों पर भी इसे लागू किया गया। आगामी यात्राओं में योजना को बड़े पैमाने पर लागू कर सभी प्रकार के प्लास्टिक कचरे को निस्तारित करने के लिए इस्तेमाल करने पर विचार किया जाएगा।
रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ, देवरियाताल समेत कई धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों पर लाखों पर्यटक हर साल पहुंचते हैं। इस वर्ष अकेले केदारपुरी में करीब 16 लाख श्रद्धालुओें ने दर्शन किए हैं। ऐसे में प्लास्टिक कचरे का निस्तारण एक बड़ी चुनौती था, लेकिन जिला प्रशासन ने अथक प्रयासों से इस समस्या को कम करने का एक बड़ा हल निकाल कर जिले में क्यूआर कोड प्रणाली शुरु की जिसके अंर्तगत यात्रा मार्गों पर बिकने वाली प्लास्टिक की बोतलों पर एक क्यूआर कोड चस्पा कर बोतलों की टैगिंग की गई। हर क्यूआर कोड लगी बोतल पर बिक्री के समय 10 रुपए अतिरिक्त वसूले जाते हैं, वहीं प्रत्येक बोतल वापस जमा करने वाले को 10 रुपए कमाने का मौका मिलता है।
’33 हजार से ज्यादा प्लास्टिक की बोतलें निस्तारित’
ऊखीमठ के उप जिलाधिकारी जितेंद्र वर्मा ने बताया कि 06 मई, 2022 को श्री केदारनाथ धाम के कपाट खुलने पर रिसायकल संस्था ने ऊखीमठ तहसील प्रशासन, नंगर पंचायत केदारनाथ, सुलभ इंटरनेशनल एवं यात्रा मैनेजमेंट फोर्स के कर्मचारियों के साथ मिलकर मंदिर परिसर के समीप की कुछ दुकानों से प्रोजेक्ट शुरु किया था। सफल परीक्षण के बाद गुप्तकाशी से केदारनाथ के बीच सभी दुकानों में क्यूआर कोड लागू किए गए। दूसरे चरण में सिस्टम चोपता-तुंगनाथ मार्ग पर लागू किया गया, जहां इस प्रयोग को और गति मिली एवं योजना। केदारनाथ, चोपता-तुंगनाथ और देवरियाताल मार्ग पर अब तक 33307 प्लास्टिक बोतलें संस्था के काउन्टर पर एकत्रित की गई हैं। जबकि 1181 व्यवसाइयों को 92300 क्यूआर कोड वितरण किए जा चुके हैं। जिन दुकानों की क्यूआर कोड लगी बोतलें पूरी नहीं बिकी हैं वे आने वाले समय में भी बेची जा सकती हैं।