Wednesday, March 19, 2025
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Chardham Joshimath Pilgrims. बढ़ती तीर्थयात्री: आपदा पीड़ितों के घाव भर पायेगी?

Rising Pilgrims: Will Pilgrims Heal The Wounds Of Disaster Victims?

जोशीमठ।
बदरीनाथ धाम का प्रवेशद्वार जोशीमठ, इन दिनों तीर्थयात्रियों से खचाखच भरा है। तीर्थयात्रियों की चहलकदमी ने जोशीमठ के लोगों के जीवन में एक नयी आशा जगाई है। पिछले चार महीने से भूधंसाव के चलते निराश हो चुके लोगों के लिए तीर्थयात्रियों की यह चहल-कदमी और हलचल आबादी के एक बड़े हिस्से के लिए संजीवनी से कम नहीं है।

यहां की आबादी के बड़े हिस्से की जीविका पर्यटन और तीर्थाटन से जुड़ी है। विख्यात पर्यटन केन्द्र औली और आदिगुरू शंकराचार्य की तपस्थली के लिए दुनियाभर में ख्यातिप्राप्त जोशीमठ कुछ इलाकों में भूधसाव के कारण देश और दुनियाभर में चर्चित रहा है। भजोशीमठ और उसके आसपास के इलाके में लोगों के आशियाने उजड़ गए थे, आजीविका का बड़ा आधार शीतकालीन पयर्टन का पूरा व्यवसाय चौपट हो गया था।

27 अप्रैल को बदरीनाथ के कपाट खुलने से पहले ही जोशीमठ में तीर्थयात्रियों की जो भीड़ जुटनी शुरू हुई वह आब धीरे घीरे बढ़ती जा रही है, जिससे यहां के होटल और पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरों की रौनक वापस लौट रही है।


जोशीमठ के पर्यटन व्यवसाय से जुड़े सुभाष डिमरी कहते है कि भगवान बदरीविशाल के कपाट खुलने के बाद जोशीमठ शहर तीर्थयात्रियों से भर गया है। खराब मौसम के बाद भी भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए तीर्थयात्रियों की भीड़ लगी है। जोशीमठ के रविग्राम के मूल निवासी डिमरी बताते है। कि उनके रिर्जाट में जनवरी की घटना के बाद शुरू में जो बुंकिग थी वह रद्द हो गई थी लेकिन कपाट खुलने के बाद से हर दिन अस्सी से नब्बे फीसदी रूम यात्रियों से भरे है।


जोशीमठ के भूधसाव प्रभावित इलाके के समीप ही पंचवटी के नाम से यात्रियों को रहने की सुविधा उपलब्ध कराने वाले भुवन उनियाल कहते हैं,जोशीमठ पहले की तरह तीर्थयात्रियों की पसंदीदा जगह बनी हुई है। पिछले सालों की तरह ही तीर्थयात्री जोशीमठ को अपना पड़ाव बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि भगवान बदरीविशाल के दर्शनों के लिए जाने वाले तीर्थयात्री कपाट खुलने से पहले से ही जोशीमठ आने और रहने लगे थे।
चमोली के जिला पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने बताया कि जोशीमठ में पौने दो सौ से ज्यादा होटल है जिनमें सौ के लगभग होम-स्टे भी शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भूंधसाव की चपेट में चार होटल आये थे जिनमें से दो को तोड़ दिया था। इन चार को छोड़ दे तो अधिकतर होटल,लांज और होम-स्टे इन दिनों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों से भरे हैं। यहां तक की खतरे के क्षेत्र में आये इलाको के होटलों और होम स्टे में तीर्थयात्री खुशी-खुशी रह रहे हैं।


जोशीमठ नगर प्राचीन नृसिेह मंदिर, आदिगुरू शंकराचार्य की तपस्थली और औली के कारण सालभर टूरिस्टों की पसंदीदा जगहों में एक रहा है। गर्मियों में बदरीनाथ धाम की यात्रा और सर्दियों में औली के कारण सालभर यहां पर्यटकों की आवाजाही होती रहती थी। लेकिन इस साल जनवरी में जोशीमठ नगर के एक हिस्से में अचानक भूधंसाव की गतिविधि बढ़ने के बाद जोशीमठ और औली का शीतकालीन पर्यटन गतिविधियां बूरी तरह प्रभावित हुई। दिसम्बर 2022 से लेकर मार्च तक यही स्थिति रही। औली-डे रिर्जाट के मालिक सुभाष डिमरी कहते हैं,भूधसाव के कारण शीतकालीन पर्यटन बूरी तरह प्रभावित हुआ। एडवांस बुकिंग रद्द हुई। चारधाम यात्रा शुरू होते ही हमारी आशंकाये दूर हो गयी। पहले दिन से यात्रियों की संख्या ने हम सबका उत्साह बढ़ा दिया।


बदरीनाथ यात्रा रूट पर एक दर्जन से अधिक पर्यटक आवासगृहों और जोशीमठ और औली में कई पर्यटक आवासगृहों को संचालन करने वाले गढ़वाल मण्डल विकास निगम के मुख्य प्रबंधक दीपक रावत ने बताया कि चारधाम यात्रा शुरू होने के बाद उनके अधिकतर आवास गृह यात्रियों से भरने लगे हैं। जोशीमठ में दो आवास गृह हैं दोनों में लगातार बुकिंग हो रही है।


औली-डे के सुभाष डिमरी कहते हैं, पर्यटकों को कम-से-कम कीमत पर बेहतर सेवा और सुविधा के साथ सुरक्षा का एहसास कराने के ध्येय पर इस समय जोशीमठ के पर्यटन व्यवसायी सक्रिय है। अच्छी आवासीय एवं खानपान की सुविधा कम कीमत पर उलब्ध करायी जा रही है। जिससे तीर्थयात्री भी खुश है और हम लोगों का व्यवसाय भी बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि जोशीमठ भूधंसाव को लेकर यात्रियों में ठहरने को लेकर कोई चिंता नहीं है।


पंचवटी होटल के मालिक भुवन उनियाल कहते हैं, यात्री प्रवास के बाद जब होटल से विदा हो रहे हैं तो पुछ रहे हैं कि भूधसाव के इलाके कहा हैं? जमीन कहां फिसल रही है? जब उन्हें दिखता नहीं है तो जोशीमठ को लेकर अपनी परिकल्पना वयान करते हैं। जैसलमेर राजस्थान से चार धाम की यात्रा पर आए सिंघल परिवार बदरीनाथ के दर्शन कर जोशीमठ में औली-डे होटल में ठहरे हैं। उन्होंने जोशीमठ में तीर्थयात्रियों की बेहतर व्यवस्था के लिए स्थानीय लोगों को धन्यवाद दिया और कहा कि यहां रहने से लेकर खाने की व्यवस्थाएं तो बेहतर है ही लोगों का व्यवहार भी बहुत अच्छा है। उनका कहना था कि जोशीमठ को जिस तरह से पिछले कुछ समय से प्रचारित किया जा रहा था वैंसा यहां कुछ भी महसूस नहीं हुआ। रामचंद्र सिंघल ने बताया कि वे जोशीमठ में रूके हैं, औली भी जायेगे और जोशीमठ के प्रमुख सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों का भ्रमण करने के बाद हरिद्वार लौंटेगे। रूस से आयी मरीना पिछले कुछ दिनों से जोशीमठ क्षेत्र में ही है, वह कहती है कि जोशीमठ में रूकने का आनन्द ही कुछ और बेहतर सेवा के साथ लोगों का मधुर व्यवहार जोशीमठ शहर को छोड़ने का म नही नहीं करता। जोशीमठ शहर के भूधसांव को लेकर उन्होंने अनविज्ञता जतायी। दूसरी ओर महाराष्ट्र के सोलापुर से आये आनन्द कुमार का भी ऐसा ही कहना है। उन्होने कहा कि बदरीनाथ के दर्शन कर रहने के लिए जोशीमठ में आये हैं। यहां किसी तरह असुविधा नहीं है। जिस तरह प्रचारित किया जा रहा था वैसा कुछ भी नहीं दिखता है। जिस होटल में रूका था वहां सभी सुविधाएं बेहतरीन थी। जोशीमठ में ठहरने की कोई दिक्कत नही है। हमारे साथी खुशी-खुशी यहां रह रहे हैं।


जोशीमठ की तलहटी में मारवाणी में हिमालयन एबाड के नाम से होम-स्टे संचालित करने वाले अजय भट्ट के होम स्टे में अभी यात्रियों की आवाजाही कम हुई है। अजय भट्ट कहते हैं कि होम स्टे की क्षमता का तीस फीसदी ही उपयोग हो पा रहा है। भट्ट के जोशीमठ के इस होम स्टे के अलाव औली में भी दो होटल हैं। भट्ट कहते हैं कि भूधसाव और उसके गलत ढंग से हुए प्रचार ने यहां के पर्यटन व्यवसाय को बूरी तरह प्रभावित किया है। औली और जोशीमठ में शीतकालीन टूरिज्म से काफी अच्छी आय होती थी वह इस साल पूरी तरह खत्म हो चुकी है। चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की आवाजाही के बाद भी उनके होम-स्टे लगभग खाली ही हैं। हिमालयन एबाड होम स्टे बदरीनाथ नेशनल हाई-वे से सटा है और जोशीमठ से बदरीनाथ जाने के रास्ते पर जोशीमठ से पांच किलोमीटर आगे है। भट्ट कहते है कि हर दिन इस हाई-वे पर सैकड़ों की संख्या में वाहन गुजर रहे हैं लेकिन उनके होम-स्टे खाली है। जोशीमठ में जो लोग रूक रहे हैं वे करंट में आने-जाने वाले यात्री ही अधिक है। एडवांस और प्लान से यात्रा करने वाले टूरिस्ट जनवरी की घटना के बाद से कम हो गए है।


दरअसल पिछले कुछ समय से अन्य स्थानों की तरह जोशीमठ में भी आनलाईन और प्लांड आधार पर यात्रा करने वाले तीर्थयात्रियों से यहां के होटल और होम-स्टे को सबसे अधिक राजस्व मिल रहा था। इसमें व्यक्तिगत तीर्थयात्री और पर्यटकों की भागीदारी तो थी ही बड़ी-बड़ी पर्यटन और ट्रेक्रिग कंपनी की भी बड़ी भूमिका थी। भट्ट जनवरी फरवरी की मिडिया की रिपोर्टों को दुश्प्रचार कहते हुए कहते हैं कि जिस तरह से जोशीमठ की घटना को नेशनल मिडिया में परोसा गया है उससे लोगों में गलत संदेश गया है खासतौर दक्षिण भारत और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में। भट्ट बताते है कि पिछले सालों तक उनकी होटल और होम स्टे को सालभर के लिए आनलाईन में एडवांस बुंिकग मिल जाती थी जिसमें बड़ी कंपनियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी। उन्होने उदाहरण देकर बताया कि जनवरी की घटना के बाद देश की अनेक बडी कंपनियों की यात्रा आईटनरी से जोशीमठ और औली का नाम ही हटा दिया गया है। मुबंई के केशरी टूर एंड ट्रेवल का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि पिछले साल तक सबसे ज्यादा पर्यटकों को जोशीमठ रूकाने वाली इस कंपनी की इस साल की आईटनरी में जोशीमठ का नाम ही हट गया है। जबकि भयभीत करने वाली जैसी स्थिति प्रचारित की गई थी वैसा यहां पर कुछ भी नहीं है जो पर्यटक आ रहे है और रूक रहे है वहीं इस बात को लेकर आश्यचर्य प्रकट कर रहे हैं।


जोशीमठ में बदरीनाथ भगवान के शीतकालीन गद्दीस्थल में एक नृसिंह मंदिर के पुजारी हनुमान प्रसाद डिमरी ने बताया कि बदरीनाथ के कपाट खुलने के बाद से ज्योर्तियमठ के इस ऐतिहासिक नृंिसह मंदिर परिसर में तीर्थयात्रियों की भीड़ लगी हुई है। पिछले सालों की तुलना में इस बार कुछ ज्यादा ही तीर्थयात्री दर्शनों के लिए आ रहे हैं। सभी यात्री उसी श्रद्वा और विश्वास से भगवान के दर्शन कर रहे हैं। भूधसाव को लेकर न तो यात्रियों में भय है और नहीं इस पर चर्चा करना चाहते हैं।

जोशीमठ भूधसाव और उसके बाद शहर को लेकर मिडिया के माध्यम से देश और विदेश में गए संदेश ने यहां के पर्यटन और तीर्थाटन से जुड़े लोगों पर जो नकारात्मक असर छोड़ा है उसे दूर होने में अभी समय लगेगा। मुख्य बाजार और उसके आसपास के व्यवसायी तो इससे उबरने लगे हैं लेकिन जोशीमठ के आंफ लाईन के होटल खासकर वे होम-स्टे और होटल जिनका अधिकतर कारोबार आनलाईन होता था उन्हें संभलने में अभी समय लगेगा। जोशीमठ के ऐसे पर्यटन व्यवसायियों को उबरने के लिए अजय भट्ट कहते है कि सरकार को ऐसे समय में दक्षिण भारत और महाराष्ट्र के इलाके में जोशीमठ में सब कुद ठीक है किा संदेश देने के लिए प्रभावी प्रयास करने चाहिए। इसके लिए हमारे होटल व्यवसायी भी आगे आने को तैयार है ऐसे स्टेटों में इन बड़ी कंपनियों के साथ बैठके की जानी चाहिए जिन्होंने अपनी आईटनरी से जोशीमठ का डेस्टिनेशन इस घटना के बाद से हटा दिया है। उन्हें विश्वास में लिया जाना चाहिए। तभी जोशीमठ के होटल व्यवसाय की स्थिति जल्दी सुधर पाये।

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