गोपेश्वर।
गढ़वाल विश्वविद्यालय के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र(हैप्रेक) तथा उद्योगिनी संस्था के संयुक्त तत्वाधान में नंदा नगर विकास खंड के ग्राम पगना में किसानों को औषधीय पादपों के कृषिकरण के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कुटकी की कृषि पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला में गढ़वाल विश्वविद्यालय के वनस्पति शाश्त्री डॉक्टर प्रदीप डोभाल ने कृषकों को कुटकी के संरक्षण , कृषिकरण के साथ ही उसके औषधीय गुणों तथा व्यापार से होने वाले लाभ के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
उद्योगिनि संस्था के अजय हेमदान ने कृषकों को जानकारी देते हुए बताया कि, कुटकी की माँग राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निरंतर बड़ रही है। ऐसे में आर्थिकी की दृष्टि से कुटकी की कृषि करना लाभकारी होगा।
उद्योगिनी के ही शैलेंद्र नेगी ने कहा कि, कृषक जड़ी बूटी का वृहद स्तर पर कृषिकरण कर स्वयं भी आत्मनिर्भर बन सकते हैं और आत्मनिर्भर भारत बनाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इस अवसर पर 30 किसानों को कुटकी के कृषिकरण का ऑन फील्ड प्रशिक्षण देने के पश्चाद् कुटकी की 15 हजार पौध भी निशुल्क वितरित की गई ।
कार्यशाला में हैप्रेक के डा. प्रदीप डोभाल, सरपंच देव सिंह आदि के साथ ही कई ग्रामीणों ने प्रतिभाग किया।