रुद्रप्रयाग।
गूगल ट्रासलेटर, केदारनाथ में पुलिस को तत्काल मददगार बनने में आश्चर्यजनक भूमिका निभा रहा है। भाषाओं की बाधा गूगल ट्रांसलेटर दूर कर रहा है। सरलता से लोग अपने बिछड़ों तक पहुंच पा रहे हैं।
देश और दुनिया के अलग अलग भागों से भोलेशंकर के दर्शनों के लिए तीर्थयात्री इन दिनों केदारनाथ पहुंच रहे हैं,खराब मौसम के चलते की यात्री अपनों से बिछड़ रहे हैं, भाषा की समस्या से अपनी परेसानी न दूसरों को ठीक से बता पा रहे हैं और नहीं दूसरे लोग उनकी भाषा समझ पा रहे हैं। जिसका निदान स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने गूगल के ट्रांसलेटर की सुविधा से खोजा है। ऐसी ही एक महिला जो एक पूरी रात अपनों से बिछड़ गई थी पुलिस की इस तरकीब से फिर से परिजनों के पास पहुंची।
रुद्रप्रयाग पुलिस की केदारनाथ मार्ग पर तैनात टीम गूगल ट्रांसलेटर तकनीकी का उपयोग कर भाषा की बाधा दूर कर यात्रियों की मदद कर रही है।
बुधवार को केदारनाथ के दर्शन कर वापस लौट रही आंध्रप्रदेश की बुजुर्ग महिला यात्री जिसे न हिन्दी समझ में आ रही थी और नहीं अंग्रेजी, गूगल ट्रांसलेटर की मदद से उनकी मातृभाषा तेलुगू से हिन्दी अनुवाद करवाया और फिर उनके परिजनों से मिलाया।
गौरीकुंड में तैनात पुलिसकर्मी यात्रा शुरू होने के बाद इस तकनीकी की मदद से परिजनों से बिछड़े तीर्थयात्रियों की सहायता करने में लगे हैं।
रुद्रप्रयाग पुलिस की ओर बताया गया है कि बुधवार श्री केदारनाथ मंदिर से वापस लौटत हुए 68 वर्षीय आंध्र प्रदेश की वृद्ध मात जो मंगलवार देर रात को अपने परिजनों से बिछड़ गई थी और गौरीकुण्ड शटल पार्किंग में परेशान हाल में थी। अकेले होने और भाषा संबंधी दिक्कत से इनकी समस्या दूसरे लोग समझ नहीं पा रहे थे। काफी घबराई हुई थी। यह केवल तेलगु भाषा में ही बात कर रही थी।
इनके द्वारा उपलब्ध कराये गये परिजनों के मोबाइल नम्बर पर बात की लेकिन वे सभी भी केवल तेलगु भाषा में ही बात कर रहे थे।
शटल पार्किंग गौरीकुण्ड में नियुक्त उपनिरीक्षक रमेश चन्द्र बेलवाल एवं आरक्षी पीएसी सुशील कुमार को जैसे ही इस महिला की जानकारी मिली, उन्होंने महिला को अपने साथ पुलिस सहायता पोस्ट में बिठाया, हल्का भोजन कराया व इशारों से सांत्वना दी। फिर गूगल ट्रांसलेटर की मदद से उनके के परिजनों के साथ फोन पर हुई बातचीत के आधार पर परिजनों के सोनप्रयाग में रुके होने की जानकारी मिली। पुलिस ने एक वाहन की व्यवस्था कर एक सहयोगी के साथ बुजुर्ग महिला को सोनप्रयाग पहुंच चुके उनके परिजनों से मिलया।
इससे पूर्व भी गूगल ट्रांसलेटर की मदद से भाषा की बाधाए दूर कर मिलाने का कार्य किया गया।