Wednesday, March 26, 2025
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I-Rise Doon University दून विश्वविद्यालय में आई-राइज प्रोग्राम

I-Rise programme at Doon University, Dehradun, Uttarakhand

देहरादून।

दून विश्वविद्यालय में आई-राइज प्रोग्राम के तहत स्कूली शिक्षकों के लिए राज्य स्तरीय एस.टी.ई.एम. कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है।
दून विश्वविद्यालय में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एस.सी.ई.आर.टी) उत्तराखंड एवं भारतीय विज्ञान एवं शिक्षा अनुसंधान संस्थान (आई.आई.एस.ई.आर.) पुणे द्वारा एस. टी. ई. एम. के तकनीकों एवं नवीनतम शैक्षणिक उपकरणों का उपयोग कर विद्यार्थियों में गणित एवं विज्ञान की अभिरुचि विकसित करने के उद्देश्य से राज्य के विज्ञान एवं गणित शिक्षकों को आई-राइज (इंस्पायरिंग इंडिया इन रिसर्च इनोवेशन इन एस. टी. ई. एम. एजुकेसन) कार्यक्रम के अन्तर्गत 03 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है । यह प्रशिक्षण राज्य के सभी जिले के शिक्षकों को चरणबद्ध तरीके से दिया जाएगा ।

दून विश्वविद्यालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार ‘आई-राइज’ परियोजना को डिपाट्मन्ट् ओएफ साइअन्स् ऐन्ड् टेकनॉलजी (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग) – भारत सरकार, रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री, ब्रिटिश काउंसिल, और टाटा टेक्नोलॉजीज द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है ।


आई-राइज प्रोग्राम के विभिन्न चरण हैं जिसमें प्रथम चरण में राज्य के कुछ शिक्षकों को दून विश्वविद्यालय में 3 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जाएगा । शुरुआती चरण में प्रशिक्षित शिक्षकों में से कुछ शिक्षकों का चयन उनके कक्षा में की गयी गतिविधियों के आधार पर किया जाएगा. चयनित अध्यापक दूसरे चरण के तहत 10 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण भारतीय विज्ञान एवं शिक्षा अनुसंधान संस्थान पुणे में या दून विश्वविद्यालय में प्राप्त करेंगे । 10 दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों को इनोवैशन चैंपियन के नाम से जाना जाएगा एवं उसके बाद तीसरा चरण शुरू होगा जिसमे सभी इनोवैशन चैंपियन आई-राइज की मदद से अपने संबन्धित जिले में कैसकेड कार्यशाला का आयोजन करेंगे । इस कार्यक्रम के तहत सभी विद्यालयों को एक किट भी उपलब्ध कराया जाएगा जो विद्यालय में गतिविधि कराने हेतु शिक्षकों के लिए काफी मददगार साबित होगा ।

कार्यक्रम में हरिद्वार जिले के 75 शिक्षकों का प्रशिक्षण बुधवार से शुरू हुआ जो १२ मई तक चलेगा। बुधवार को वीसी डा. सुरेखा डंगवाल ने प्रशिक्षण का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर प्रोफ़ेसर डंगवाल ने कहा की वर्त्तमान समय में वैश्विक शिक्षा से जुडी चुनौतियों का सामना करने के लिए बच्चो को तैयार करना होगा| अब शिक्षक की भूमिका में बदलाव आ गया है, उन्हें बच्चों की रचनात्मक क्षमताओं को पहचानते हुवे उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा| एस.सी.ई.आर.टी उत्तराखंड की संयुक्त निदेशक आशारानी पैन्यूली ने कहा की वर्त्तमान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर में संवेदनाओ को बचाना जरुरी है| उन्होंने कहा शिक्षकोंको बच्चो का रोल मॉडल होना होगा| इस अवसर पर इंस्पायर अवार्ड उत्तराखंड के राज्य समन्वयक डॉ. अवनीश उनियाल, एस.सी.ई.आर.टी उत्तराखंड की उप निदेशक किरन बहुखंडी, डॉ. उमेश चमोला मौजूद रहे| दून विश्वविद्यालय से डॉ अरुण कुमार, डॉ चारु द्विवेदी, डॉ प्रीती मिश्रा, डॉ राजेश भट, डॉ विपिन कुमार, डॉ अनुज कुमार और सूरज जी उपस्थित रहे| इस तीन दिवसीय कार्यक्रम के लिए आई.आई.एस.ई.आर. पुणे से प्रोफ़ेसर हरिनाथ चक्रपाणी, श्रद्धा भुरकुंडे, मोहम्मद तकी, जहिदा शेख, हर्षा कुलकर्णी और संकेत राउत द्वारा विज्ञान तथा गणित के अलग अलग सत्रों को चलाया जाएगा| इस कार्यक्रम का संचालन श्रद्धा भुरकुंडे ने किया|


जिला टिहरी तथा उत्तरकाशी के शिक्षकों के लिए यह कार्यक्रम १५ से १७ मई तक डी.आई.ई.टी. टिहरी में किया जायेगा| रूद्रप्रयाग, पौड़ी तथा चमोली के शिक्षकों के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन १९ से २१ मई तक डी.आई.ई.टी. पौड़ी में किया जायेगा| जुलाई से यह कार्यक्रम कुमाऊं मंडल के शिक्षकों के लिए चलाया जायेगा | इस कार्यक्रम में कुल ५०० शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा| इनमे से १५० शिक्षकों का चयन आई.आई.एस.ई.आर. पुणे द्वारा १० दिवसीय प्रशिक्षण के लिए किया जायेगा | यह प्रशिक्षण आई-राइज (इंस्पायरिंग इंडिया इन रिसर्च इनोवेशन इन एस. टी. ई. एम. एजुकेसन) कार्यक्रम के अन्तर्गत आई.आई.एस.ई.आर. पुणे में चलाया जायेगा| प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षकों के द्वारा विकासखंड स्तर पर विज्ञान और गणित के शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जायेगा |


उक्त कार्यक्रम का उद्देश्य है शिक्षकों और छात्रों में नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ाना है । इस कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य के विद्यार्थियों का इंस्पायर अवार्ड्स – मानक में भी ज्यादा से ज्यादा नामनैशन कराना है जो कि देश के बच्चों को नवाचार में बढ़ावा देने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की एक योजना है । प्रशिक्षण में रटने की जगह समझने की प्रवृति को प्राथमिकता दी गई है । बच्चों को आस -पास के परिवेश से जोड़कर दैनिक जीवन की घटनाओं का उदाहरण देकर विज्ञान और गणित की शिक्षा देने की बात कही गई है । पूछताछ और गतिविधि- आधारित तथा विज्ञान एवं गणित को अन्तर्विषयक (इन्टरर्डिसप्लनेरी) बना कर बच्चों तक पहुँचाया जा इसकी चर्चा की गई है । महाराष्ट्र और बिहार के बाद उत्तराखंड तीसरा राज्य है जहां इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई है।

I-Rise programme at Doon University, Dehradun, Uttarakhand

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