चिन्यालिसौड़।
चिन्यालीसौड़ के दूरस्थ पूज्यारा गांव में श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन कथा वाचक ब्रह्मानंद उनियाल ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का अध्ययन व श्रवण परमात्मा से मिलने का सर्वोत्तम साधन है।
उन्होंने कहा कि सत्य ही परमात्मा है ओर सत्य के सहारे ही नर नारायण के समीप पहुंचा जा सकता है। असत्य बोलने से जीव के पुण्य क्षीण होते है। हमारा आचार विचार शुद्ध होगा तो कभी भी कलि हममें प्रवेश नहीं कर सकता। कलियुग में केवल दान ही प्रधान है, जबकि सतयुग में धर्म के चार तत्व थे। त्रेता में सत्य चला गया, द्वापर में सत्य और तप न रहे और कलियुग में तो सत्य, तप और पवित्रता तीनों चले गए। जीव केवल दान देकर और प्रभु नाम जपकर ही अपने जीवन को दिव्य बना सकता है। भोगमयी जीवन से ठाकुर दूर रहते हैं और शुद्ध हदय वालों में निवास करते हैं।
गुरु और ईश्वर का विश्लेषण करते हुए उन्होंने कहा कि सद्गुरु और ईश्वर तत्व एक ही है। सद्गुरु की कृपा से जीव ईश्वर दर्शन कर सकता है। सांसारिक पदार्थों में वास्तविक सुख नहीं है। परमात्मा तो परमानंद हैं। उनसे प्रति लगाओगे तो परमानंद ही मिलेगा। जिसने अपने मन पर नियंत्रण कर लिया वही संत है। राजा परीक्षित ने मन पर नियंत्रण किया तभी उन्हें शुकदेव जैसे महापुरुष मिले।
कथा में भजनों की प्रस्तुति भी दी। इस अवसर पर मुरलीधर बिजलवान,गिरधर प्रसाद बिजलवान , सच्चिदानंद,सोहन लाल, शैलेंद्र पूर्व ब्लाक प्रमुख बिजेंद्र रावत, भाजपा नेता दाता राम डबराल,उर्मिला देवी,सुनीता, मनीषा, अंशिका कृष्णा, आदि मौजूद रहे