Saturday, March 15, 2025
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Uttarakhand Early Warning System मैदानी इलाकों में बाढ़ की पूर्व चेतावनी तंत्र विकसित करने के लिए राज्य सरकार सक्रिय

Uttarakhand State government active to develop flood early warning system in plains.

देहरादून।

उत्तराखंड के मैदानी इलाकों में बाढ़ के लिए सटीक चेतावनी तंत्र विकसित करने के लिए राज्य सरकार सक्रिय हो गई है। बुधवार को आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग के सचिव की अध्यक्षता में इस सिलसिले में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के अधिकारियों के अतिरिक्त केन्द्रीय जल आयोग, देहरादून, सिंचाई विभाग, उत्तराखण्ड तथा सिंचाई अनुसंधान संस्थान, रूड़की के अधिकारी उपस्थित थे।

बैठक में मैदानी क्षेत्रों में बाढ की घटनाओं‌ के लेकर विचार किया गया जिसमें नदियों के उपरी जल संग्रहण क्षेत्र में होने वाली भारी वर्षा या लम्बे समय तक होने वाली वर्षा को इसका बड़ा कारण मानते हुए इन नदियों के उपरी जल संग्रहण क्षेत्र में होने वाली वर्षा के साथ ही ऊपरी क्षेत्र में नदियों के जल स्तर व जल प्रवाह की जानकारी बढ़ाने पर जोर दिया गया।

इसके आंकड़ों के आधार पर बाढ़ से प्रभावित हो सकने वाले मैदानी क्षेत्रों के लिये चेतावनी तंत्र विकसित किए जाने के निर्देश दिए गए।

बैठक में जलवायु परिवर्तन के कारण तीक्ष्ण मौसमी घटनाओं की बारम्बारता बढ़ रही है जिसके कारण विगत में भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। उक्त के कारण जहां राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में त्वरित बाढ़ व भू-स्खलन के कारण जन-धन की क्षति होती है तो वहीं दूसरी ओर मैदानी क्षेत्र में बाढ़ के कारण परिसम्पत्तियों के साथ-साथ फसलों को क्षति होती है।

बैठक में केन्द्रीय जल आयोग को कुमाऊं क्षेत्र की नदियों के लिये भी चेतावनी की व्यवस्था किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।

बैठक में पता चला कि वर्तमान में केन्द्रीय जल आयोग के द्वारा केवल नदियों के जल स्तर से सम्बन्धित जानकारियां उपलब्ध करवायी जा रही है और नदियों का जल स्तर बढने से उत्पन्न बाढ की स्थिति में प्रभावित हो सकने वाले गांवों व शहरों से सम्बन्धित कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करवायी जाती है।

तय किया गया कि उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को विशेष रूप से राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अवस्थित आबादी वाले स्थानों का सर्वेक्षण कर उनके अक्षांश, देशान्तर व समुद्र तल से ऊंचाई से सम्बन्धित आंकड़े एकत्रित किये जाने उसे भारतीय सर्वेक्षण विभाग से सम्पूर्ण राज्य के डिजिटल टोपेग्राफिक मानचित्र प्राप्त कर मानत्रिक पर आंकडों को रेखांकित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है साथ ही उन समस्त आंकडों का MIS तैयार कर एक Algorithm तैयार की जाये ताकि नदियों के जलस्तर के अनुसार रिहाइसी क्षेत्रों हेतु सटीक चेतावनी जारी की जा सके।

यह भी निर्देश दिये गये कि समस्त नदियों के पूर्व से चिन्हित 145 स्थानों तथा नये Vulnerable व महत्वपर्ण स्थलों पर प्रत्येक वर्ष दिसम्बर-जनवरी माह में Cross Section लिया जाये ताकि समय से नदियों की Training/dredging की कार्यवाही वैज्ञानिक तरीके से की जा सके तथा वर्षात में Cross-Section के आधार पर नदियों के जल-प्रवाह का आंकलन कर चेतावनी जारी की जा सके।

केन्द्रीय जल आयोग का कुमाऊं डिविजन द्वारा लखनऊ को रिपोर्ट किया जाता है, निर्देशित किया गया कि केन्द्रीय जल आयोग के कुमाऊं ऑफिस में एक नोडल अधिकारी नामित किया जाये जो देहरादून कार्यालय में रिपोर्ट करे।

केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उत्तराखण्ड में मात्र चार स्थानों के लिये बाढ़ का पूर्वानुमान (Flood forecasting) से सम्बन्धित जानकारियां उपलब्ध करवायी जाती हैं। कुमाऊं मण्डल में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा किसी भी स्थान में बाढ़ का पूर्वानुमान (Flood forecasting) नहीं किया जाता है। उक्त के दृष्टिगत 10 दिन के अन्दर एक प्रस्ताव तैयार कर उपलब्ध करवाये जाने हेतु निर्देशित किया गया।


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