गोपेश्वर।
चमोली और रुद्रप्रयाग के वन क्षेत्रों में विभिन्न कारोबारों में लगे ग्रामीणों ने गोपेश्वर में बैठक कर वन क्षेत्रों से बेदखल करने की कार्रवाई का विरोध करते हुए इसके खिलाफ जनजागरण और संघर्ष का निर्णय लिया है। गुरुवार को केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत की अगुवाई में मधु गंगा घाटी से लेकर पुष्पावती घाटी से आए लोगों ने वन क्षेत्रों से जबरन बेदखली का विरोध किया और मुख्यमंत्री, रुद्रप्रयाग और चमोली के जिला अधिकारियों और वन अधिकारियों को ज्ञापन भेजकर इस कार्यवाही को रोकने का अनुरोध किया है।
गोपेश्वर में पत्रकारों से बातचीत में पूर्व विधायक मनोज रावत तथा अलग अलग इलाकों से आए प्रभावितों ने बताया कि सरकार की इस कार्रवाई के विरोध में प्रभावितों को संगठित किया जा रहा है। प्रभावित अब एकजुट हो रहे हैं, ‘‘गौण्डार से भ्यूंडार संघर्ष’’ का नारा देकर लोगों को एकजुट किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि एक तरफ बरसात सेे उत्तरखण्ड में हर हिस्से में त्राहिमाम-त्राहिमाम की स्थिति पैदा हो रखी है दूसरी तरफ लोगों को उजाड़ा जा रहा है। सरकार इन दूरस्थ जिलों में बुग्यालों से लेकर गांवों- कस्बों में अतिक्रमणकारी की संज्ञा देकर उजाड़ने का षड़यंत्र कर रही है।
उनका कहना था कि सरकार एक रणनीति के तहत रुद्रप्रयाग के केदारनाथ , चैमासी , फाटा , कालीशिला, गौण्डार (मद्महेश्वर घाटी), चोपता- तुंगनाथ और अन्य दूरस्थ स्थानों में बसे लोगों से लेकर चमोली के अनुसुया माता, डुमक- कलगोट, स्योंण-बेमरु,कल्पेश्वर, भ्यूंडार- घांघरिया- फूलों की घाटी, भविष्य बदरी से लेेेकर पिथौरागढ़ के मिलम- मुनस्यारी के निवासियों अतिक्रमणकारी सिद्ध करने की कोशिश कर रही है, जिसे पूरी नहीं होने देंगे।
उन्होंने कहा कि अब यह निश्चय किया है कि देश के कानून के अन्तर्गत अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। इन इलाकों में शेड्यूल ट्राइब और अदर ट्रेडिशनल फॉरेस्ट डेव्येलर (रिकॉग्निशन का फॉरेस्ट राइट ) एक्ट या अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी(वन अधिकारों को मान्यता) अधिनियम- 2006के अन्तर्गत हर गांव की समिति बनाऐ, इन हक- हकूकधारी मूल निवासियों के दावों को ईमानदारी से सुने और जिला अधिकारी स्तर पर इनका निस्तारण करे। इस एक्ट के अन्तर्गत दावों के निस्तारण से पहले यहां के हक-हकूकधारी मूल निवासियों को अतिक्रमणकारी कहकर उजाड़ने की सजिश हम सफल नहीं होने देंगें और इसके विरुद्ध अंतिम क्षणों तक मिलकर संघर्ष करेंगे।
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