Celebration of 50 years of Corbett Tiger Reserve
रामनगर।
रामनगर में कार्बेट नेशनल पार्क की ओर से कार्बेट टाइगर रिजर्व के पचास साल पूरे होने पर समारोह का आयोजन किया गया। देश के इस पहले टाइगर रिजर्व को शनिवार को पचास साल पूरे हो गए हैं।
1 अप्रैल, 1973 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस टाइगर रिजर्व के गठन की घोषणा की थी। यह टाइगर रिजर्व न केवल भारत में अपितु दुनिया भर में वन्य-जीवों और वनस्पतियों के संरक्षण के लिए जाना जाता है।
उल्लेखनीय है कि 1936 में हैली राष्ट्रीय उद्यान के रूप में यह संरक्षित क्षेत्र स्थापित हुआ था, बाद में शिकारी से संरक्षणवादी बने जिम कॉर्बेट के नाम पर इसका नाम रखा गया। जिन्होंने अपना अधिकांश जीवन इसी इलाके में व्यतीत किया था।
कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान रामगंगा के तट पर स्थित है। इसमें कुल 1288.12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है, जिसमें से 821.99 वर्ग किलोमीटर कोर जोन है जहां पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है।
उत्तराखंड वन्यजीव परिषद के सदस्य और इस इलाके में वन्यजीव संरक्षण के लिए सक्रिय मयंक तिवारी ने टाइगर रिजर्व के पचास साल पूरे होने पर सभी लोगों को बधाई दी और बताया कि कार्बेट नेशनल पार्क प्रशासन की ओर से शनिवार को समारोह का आयोजन किया गया था। जिसमें रिजर्व की उपलब्धियों पर मंथन हुआ।
उन्होंने बताया कि 1973 में नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व घोषित किए जाने के बाद से इस टाइगर रिजर्व का महत्व काफी बढ़ गया है। इसके बनने के बाद यहां बाघों के संरक्षण के काम भी तेज कर दिए गए। 1973 में कुल नौ टाइगर रिजर्व थे, जो 2020 में बढ़कर 50 हो गए हैं।
राष्ट्रीय उद्यान के दो प्रभाग हैं- रामनगर बाघ प्रभाग और कालागढ़ बाघ प्रभाग जिसमें 12 रेंज और चार उप-विभाजन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, जहां एक रेंज इको-टूरिज्म पर केंद्रित है, वहीं दूसरी रेंज में शोध कार्य किया जाता है। कॉर्बेट में लगभग 50 स्तनपायी प्रजातियों, 650 पक्षी प्रजातियों और 25 सरीसृप प्रजातियों पर केंद्रित संरक्षण कार्य किया जाता है।
रामगंगा नदी घड़ियाल और मगरमच्छों का प्रजनन स्थल भी है। इस नदी में महाशीर मछली भी पनपती है।