देहरादून।
पिछले आठ सालों में उत्तराखंड वन विभाग ने 46973 बंदरों का बंध्याकरण किया गया। यह बंध्याकरण राज्य के तीन बंदर बाड़ों में किया गया। हरिद्वार के चिड़ियापुर स्थित बंदरबाड़े में सबसे अधिक बंध्याकरण हुए। इन आठ सालों में पूरे प्रदेश के विभिन्न स्थानों से 59497 बन्दर पकड़े गए थे। यह जानकारी मंगलवार को उत्तराखंड के वन मंत्री सुबोध उनियाल ने देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी के सवालों के जवाब में दिए। मंगलवार से उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ।
वन मंत्री द्वारा मंगलवार को दी गई जानकारी के अनुसार प्रदेश में चिड़ियापुर, रानीबाग और अल्मोड़ा में बंदरबाड़े है जिनमें बंदरों का बंध्याकरण किया जा रहा है । उन्होंने विधायक कंडारी के सवाल के जवाब में जानकारी दी कि देवप्रयाग में कोई बंदरबाड़ा नहीं है। देवप्रयाग से पकड़े गए बंदरों को भी हरिद्वार के चिड़ियापुर स्थित बंदरबाड़े में भेजा जाता है।
वनमंत्री द्वारा सदन को दी गई सूचना के अनुसार सबसे अधिक बंदर चिड़ियापुर स्थित बंदर बाड़े में भेजे गए।वर्ष 2015-16 से लेकर सितंबर 2022 तक 40173 बंदर पकड़ कर चिड़ियांपुर बाड़े में रखे गए। जिनमें से 37017 का बंध्याकरण किया गया और फिर उन्हें जंगल में छोड़ दिया गया।
दूसरे स्थान पर रानीबाग का रहा यहां 18184 और अल्मोड़ा बाड़े में 1140 बंदर रखें गए थे। अल्मोड़ा बाड़े में 2017-18 से बंदर को रखा गया। इन तीनों बाड़ों में सबसे अधिक बंदर वर्ष 2020-21 में पकड़े गए थे,जिनकी संख्या 19961 थी।
वन विभाग ने बंध्याकरण के बाद सभी पकड़े गए बंदरों को वनों में छोड़ दिया था।