Wednesday, March 19, 2025
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उद्योग केन्द्र भीमतल्ला की व्यवस्थाओं में सुधार की गुहार।

Appeal to improve the arrangements of Industry Center Bhimtala.

गोपेश्वर।

चमोली जिले के प्रधान संघ के जिला महामंत्री पुष्कर सिंह राणा ने भीमतल्ला में स्थित उद्योग केन्द्र की व्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी ब्यक्त करते हुए इसमें सुधार की मांग की है। प्रेस को जारी बयान में राणा ने बताया कि जिले में ऊनी कारोबार को बढ़ावा देने के लिए छह दशक से भी अधिक पुराना यह केंद्र, उद्योग विभाग की उदासीनता के कारण लगभग निष्क्रिय सा हो गया है। जिससे ऊनी व्यवसाय से जुड़े भोटिया जनजाति के परिवारों की दिक्कत बढ़ती जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि विगत दो-तीन वर्षों से यहां कार्डिंग मशीन बंद है। ग्रामीणों द्वारा कई बार उद्योग विभाग व जिला प्रशासन को इस बारे में अवगत कराया जा चुका है लेकिन इसकी सुध नहीं ली जा रही है। इस सबसे ऊनी कारोबार में लगे  भोटिया जनजाति के लोगो का कारोबार और उनकी रोजी रोटी पर देखा जा सकता हैं। जिससे लोग ऊनी कारोबार से जुड़ी अपनी परम्परागत कारोबार को लेकर दिक्कत में है।

दूसरी ओर जिला उद्योग केन्द्र के प्रभारी अधिकारी श्री कुंवर ने टेलिफोन पर बताया कि भीमतल्ला में जिला उद्योग केन्द्र की ओर से कार्डिनल प्लांट, फिनिशिंग प्लांट और बुनकरों के उत्पाद के विक्रय के लिए ग्रामीण हाट तैयार किया गया है। ग्रामीण हाट में बुनकरों को विक्रय के लिए स्टार बना कर दिए जाने हैं। अगले यात्रा काल तक यह स्टार बुनकरों को वितरित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि फिनिशिंग प्लांट से अब तक 25 परिवार यहां से पंखी आदि की फिनिशिंग करवा चुके हैं। जिला उद्योग केन्द्र के प्रभारी अधिकारी कुंवर ने बताया कि केंद्र में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी बनी हुई है। जिससे कार्डिनल प्लांट और फिनिशिंग मशीन के संचालन की गति प्रभावित हो रही है।

भीमतल्ला में उद्योग विभाग का यह केंद्र जनजातीय परिवारों के ऊनी उद्योग को बेहतर बनाने और उनकी आजीविका के सुधार के लिए भारत-चीन युद्ध  के तत्काल बाद खोला गया था। जब पूरे जिले में कहीं भी बिजली नहीं थी यहां जल चरखों के जरिए उनकी उद्योग के लिए बिजली तक तैयार की जाती थी।पानी से जल चरखों से ऊनी वस्त्र तैयार किए जाते थे। इसके साथ ही उसी दौर में स्थानीय ऊनी कारोबार करने वाले लोगो के लिए एक ऊनी कार्डिंग मशीन भी लगी थी। यहां सीमान्त क्षेत्र की भोटिया जनजाति के लोग ऊन की फ़िज़ाई करवाते औऱ उससे ऊनी वस्त्र जैसे पंखी,शॉल, मफलर,ऊनी टोपी,कोट की पट्टी,दन/कालीन,आसन व तरह तरह के ऊनी वस्त्र तैयार करते थे। जिन्हें  बेच कर अपनी आजीविका चलाते थे।

पुष्कर सिंह ने बताया कि 1962 से पहले भोटिया जनजाति के लोग तिब्बत व्यापार करते थे। व्यापार में भोटिया जनजाति के लोग तिब्बत से मुख्य रूप से नमक व पसमीना ऊन लेकर भारत आते नमक तो बाजार में बेचते औऱ जो पसमीना ऊन लाते उससे तरह तरह के ऊनी कपड़े तैयार करते औऱ उसे बाजार में बेचते। 

उन्होंने कहा कि 1962 में तिब्बत पर चीन ने आक्रमण किया और तिब्बत पर चीन का आधिपत्य हो गया था जिस कारण भोटिया जनजाति के लोगो का तिब्बत के साथ चला आ रहा कारोबार बंद हुआ।यह 1962 से पहले उनका मुख्य व्यवसाय हुआ करता था।  व्यापार बंद होने के बाद जनजातीय लोग सिर्फ ऊनी कारोबार पर निर्भर थे। इन्हें सुविधा हो इसके लिए यह केंद्र तब भीमतल्ला में खोला गया था। 

उन्होंने आगे कहा कि जनजातीय बाहुल्य क्षेत्र भीमतला चमोली मे एक ऊन फ़िज़ाई/ऊन कार्डिंग  मशीन स्थापित किया औऱ ये लोग यहां पर ऊन फ़िज़ाई करके अपने कारोबार को आगे बढ़ाने लगे।जो अभी तक चलता आ रहा था।

उन्होंने कहा कि मगर दुर्भाग्य की बात यह है ।बता

विगत कुछ साल पहले सरकार ने यहां पर एक ढेड करोड़ रुपये के लगभग खर्च कर फिनिशिंग मशीन लगाई है लेकिन फिनिशिंग मशीन सिर्फ शो-पीस साबित हुई है। इसका लाभ अभी तक ग्रामीणों को नही मिला।

उन्होंने भीमतल्ला में संचालित कार्यक्रमोंकी जांच करने और यहां जो भी  कमियां पाई जाय उस पर तुरन्त कार्यवाही करने का निवेदन किया है ताकि इसका लाभ ऊनी कारोबार से जुड़े परिवारों को मिले। सुधार न होने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

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