गोपेश्वर।
विख्यात नौदी मेला शुरू हो गया। दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर होने वाला नौदी मेला मंगलवार से शुरू हुआ। मेले में रात्रि तप के लिए दो सौ से अधिक श्रद्धालुओं ने अपना पंजीकरण किया है जो मंगलवार पूरी रात और सोमवार सुबह तक माता अनुसूया के दरवार में हाथ में दीपक लेकर तपस्या करेंगे।
मेले का शुभारम्भ कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने किया। इस अवसर पर उन्होंने मुख्यमंत्री की ओर से मेले के आयोजन के लिए 15 लाख रुपए देने तथा अगले साल मेले से पूर्व पैदल मार्ग पर 10 शौचालय निर्माण कराये जाने का आश्वासन दिया।
दत्तात्रेय जयंती के अवसर पर क्षेत्र की सभी देवियों डोलियां भी सती मां अनसूया के दरवार पहुॅची। दत्तात्रेय जयंती पर हर वर्ष नवदंपत्ति और भक्तजन अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए यहां पहुॅचते है।
जिला प्रशासन ने मेले के दौरान पूरे पैदल मार्ग पर भी सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम किए है।
यह मेला हर साल गोपेश्वर से 13 किलोमीटर की दूरी पर अनुसूया गेट से शुरू होकर माता अनुसूया मंदिर और अत्रि मुनि आश्रम तक दत्तात्रेय जंयती पर दो दिनों के लिए लगता है।
इस अवसर पर निसंतान दंपत्ति पूरी रात जागकर मां की पूजा अर्चना करते है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर में जप और यज्ञ करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है। इसी मान्यताओं के अनुसार, इसी स्थान पर माता अनसूया ने अपने तप के बल पर त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और शंकर) को शिशु रूप में परिवर्तित कर पालने में खेलने पर मजबूर कर दिया था। बाद में काफी तपस्या के बाद त्रिदेवों को पुनः उनका रूप प्रदान किया और फिर यहीं तीन मुख वाले दत्तात्रेय का जन्म हुआ। इसी के बाद से यहां संतान की कामना को लेकर लोग आते हैं। यहां हाल ही में दत्तात्रेय के भक्तों ने दत्तात्रेय मंदिर की स्थापना भी की है। पुराणों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने मां अनुसूया के सतीत्व की परीक्षा लेने का प्रसंग भी इस मेले से जुड़ा है। तब उन्होंने तीनों को शिशु बना दिया। यही त्रिरूप दत्तात्रेय भगवान बने। उनकी जयंती पर यहां मेला और पूजा अर्चना होती है।